“नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य, नवाचार द्वारा आत्मनिर्भर भारत” विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन
संतोष बोरा , नैनीताल ( nainilive.com )- कुमाऊँ विश्वविद्यालय के इनोवेशन एण्ड इन्क्यूबेशन सेंटर द्वारा “नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य, नवाचार द्वारा आत्मनिर्भर भारत” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में शिक्षाविदों ने देश की नई शिक्षा नीति पर प्रकाश डालते हुए इसके सफल क्रियान्वयन एवं चुनौतियों पर अपने विचार रखे। वेबनार का संचालन करते हुए इनोवेशन एण्ड इन्क्यूबेशन सेंटर की निदेशिका प्रो० शुचि विष्ट ने सर्वप्रथम मुख्य, विशिष्ट एवं अन्य अतिथियों का परिचय देते हुए सभी शिक्षाविदों का स्वागत किया। प्रो० शुचि विष्ट ने कहा कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय नवोन्मेश एवं विकास केन्द्र का उद्देश्य विद्यार्थियों की रचनात्मकता व नवाचार को प्रोत्साहित कर उन्हें स्वरोज़गार की ओर प्रेरित करना है, यही सोच नई शिक्षा नीति में भी निहित है। नयी शिक्षा नीति 21वी सदी के युवाओं के लिये है जिनमें अपार क्षमता है ,बस ज़रूरत है उनकी प्रतिभा को समझकर उन्हें सही मर्गदर्शन देने की जिससे कि वो आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना योगदान दे पायें।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आयोजित वेबीनार में मा० उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ० धन सिंह रावत ने मुख्य अतिथि के रुप में नई शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में जिन बड़े सुधारों की आवश्यकता देश को लंबे समय से थी, उन सुधारों पर सरकार ने ध्यान दिया है। हम आशा करते हैं कि ये परिवर्तन करोड़ों की संख्या वाले भारतीय छात्र समुदाय के सपनों को पंख देगा। यह देश की आकांक्षाओं के अनुरूप आत्मनिर्भर भारत को गढ़ने में महत्वपूर्ण बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय शिक्षा नीति है। मा० उच्च शिक्षा मंत्री ने बताया कि वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा मे 50 प्रतिशत सकल नामंकन अनुपात का लक्ष्य है। साथ ही शिक्षकों के बारे में भी NEP 2020 में यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई शिक्षक शिक्षा व नवाचार के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान करता है तो उसे फास्ट्रेक पदोन्नति प्रदान की जायेगी। शोध को बढ़ावा देने हेतु एक राष्ट्रीय शोध संस्थान का भी इस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया है।
वेबनार की अध्यक्षता करते हुए कुमाऊँ विश्वविद्यालय के मा० कुलपति प्रो० एन० के० जोशी ने एकेडमिक क्रेडिट बैंक के बारे में बताया कि छात्र अब अपने अनुरूप विषय का चुनाव कर सकते हैं व कोर्स के क्रैडिट उस एकेडमिक क्रेडिट बैंक में जमा होते रहेंगे, जिसका उपयोग छात्र आपनी डिग्री प्राप्त करने के लिये कर सकेगा। मा० कुलपति प्रो० जोशी ने कहा कि नई नीति में ‘मल्टीपल एंट्री’ और ‘मल्टीपल एक्जिट’ का ऑप्शन दिया गया है। इससे छात्र यदि अपनी चल रही डिग्री या कोर्स को बीच में ही छोड़कर कोई मनपंसद कोर्स ज्वाइन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य मानव के बौद्धिक, सामाजिक, शारीरिक, भावनात्मक और नैतिक सभी क्षमताओं को एकीकृत तौर पर विकसित करना है।
विशिष्ट अतिथि एवं पूर्व कुलपति, कुमाऊं विश्वविद्यालय प्रो० बी० एस० राजपूत ने कहा कि नई शिक्षा नीति में शिक्षा को एक सार्वजनिक सेवा माना गया है और मूल्य शिक्षा पर अधिक जोर दिया गया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित शिक्षा नीति 2020 में नैतिकता, मानवीय और संवैधानिक मूल्यों के अंतर्गत दूसरों के लिए सम्मान, स्वच्छता, शिष्टाचार तथा सेवा की भावना को प्राथमिकता पर बल दिया गया है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्ययन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव देश के विकास हेतु स्वागत योग्य है।
वेबीनार में विशिष्ट वक्ता के रूप में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रो० एच० के० सिंह ने कहा कि इस शिक्षा नीति में सिद्धांत से ज्यादा प्रयोग पर बल दिया गया है। इससे शोध गतिविधि को बढ़ावा मिला है। देश के युवाओं को 21वीं सदी में जिस शिक्षा की जरूरत है उसे यह नीति पूरा करती है। उन्होंने कहा कि नई नीति में ‘गुड क्वालिटी एजुकेशन’ को सुनिश्चित करने हेतु संस्थानों को ज्यादा फ्रीडम देने के लिए ऑटोनॉमी को बढ़ावा दिया गया है। जैसे-जैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रिन्यान्वयन होगा उच्च शिक्षा संस्थानों को अधिक ऑटोनॉमी मिलती जाएगी।
वेबीनार को आयोजित करने में डॉ० किरन बर्गली, डॉ० कुमुद उपाध्याय, डॉ० सारिका जोशी, डॉ० महेश चंद्र आर्या एवं प्रशस्ति जोशी का विशेष योगदान रहा। इस राष्ट्रीय वेबीनार में शिक्षा जगत से जुड़े लगभग 200 विद्वानों एवं विद्यार्थियों ने सहभागिता की।
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