ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय के लिए सर्वे जरुरी
प्रयागराज (nainilive.com) – इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिका को खारिज करते हुए ज्ञानवापी परिसर के एएसआई के सर्वे की अनुमति दे दी है. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया. फैसले के बाद वाराणसी में एएसआई टीम व जिला प्रशासन की मीटिंग हुई. डीएम एस राजलिंगम ने बताया कि सर्वे का काम 4 अगस्त शुक्रवार से दोबारा शुरू होगा.
कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा है कि न्याय के लिए यह सर्वे जरूरी है. कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है. सर्वे करिए लेकिन बिना खुदाई किए. वहीं मुस्लिम पक्ष के वकील मुमताज अहमद ने कहा कि वे अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एएसआई से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वे शुरू न करने को कहा था. जुलाई के अंतिम सप्ताह में कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से लगातार दो दिन बहस चली थी. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 27 जुलाई को अपने फैसले को रिजर्व कर लिया था. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने हाईकोर्ट के फैसले पर कहा के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एएसआई को सर्वे करने के लिए कहा है. हाईकोर्ट ने जिला कोर्ट के फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए भी कहा है. कोर्ट ने सर्वे को मंजूरी दे दी है. उन्होंने बताया कि एएसआई ने अपना हलफनामा दे दिया है. कोर्ट का आदेश आ गया है. ऐसे में अब कोई सवाल नहीं बनता है.
हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज किया है. इधर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सर्वे से सच्चाई बाहर आएगी. ज्ञानवापी का विवाद श्रीराम जन्मभूमि के विवाद की तरह है. निर्णय होगा, निस्तारण होगा. शिवभक्तों की मनोकामना पूरी होगी. समाजवादी पार्टी के सांसद डा एसटी हसन ने ज्ञानवापी के सर्वे के आदेश पर कहा कि हम अदालत के आदेशों का पालन करेंगे. भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा ज्ञानवापी पर हाईकोर्ट का निर्णय केवल हिंदू पक्ष की जीत नहीं बल्कि सत्य, विज्ञान, लॉजिक व पुरातत्व शास्त्र की जीत है. नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा मंदिर हो या मस्जिद वह सबका एक ही है. आप उसे मंदिर में देखें या मस्जिद में कुछ फर्क नहीं है. आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हमें आशा है कि न्याय होगा. क्योंकि यह मस्जिद करीब 600 साल पुरानी है. मुसलमान पिछले 600 सालों से वहां नमाज अदा करते आ रहे हैं. इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा वहां ऐसे अनगिनत साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते हैं कि यह एक हिंदू मंदिर था. जो एएसआई के सर्वे से सामने आएंगे. मुझे यकीन है कि असली शिवलिंग वहां मुख्य गुंबद के नीचे छुपाया गया है. इस सच्चाई को छुपाने के लिए वे मुस्लिम पक्ष बार-बार आपत्ति जता रहे हैं. वे जानते हैं कि इसके बाद यह मस्जिद नहीं रहेगी और भव्य मंदिर बनने का रास्ता साफ हो जाएगा.
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