फूलदेई: उत्तराखंड का एक लोकपर्व, जो याद दिलाता है कि प्रकृति के बिना इंसान का अस्तित्व नहीं
फुलदेई, छम्मा देई…जतुकै देला, उतुकै सही…दैणी द्वार, भर भकार
संतोष बोरा , नैनीताल ( nainilive.com )- देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल व गढ़वाल मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में मनाया जाने वाला लोक पर्व फूलदेई आज कुमाऊँ में धूमधाम से मनाया जा रहा है।
धीरे-धीरे समय के साथ साथ तौर तरीके बदल रहे हैं, लेकिन देवभूमि उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल व गढ़वाल मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में आज भी परंपरा जीवित है। हालांकि उच्च शिक्षा व रोजगार के लिए अब ग्रामीण क्षेत्रों से लोग शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं। जिसके चलते त्योहारों पर गांव सूने पड़े रहते हैं। लेकिन उंसके बाद भी ग्रामीणों द्वारा देवभूमि की परंपरा को जीवित रखा है।
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फूलदेई के मौके पर छोटे छोटे बच्चे बुरांस,खुमानी आदि जंगली फूलों को एकत्र करते है, और फिर सुबह घर-घर जाकर घर की धेली (मुख्य द्वार) पर फूलों को चढ़ा कर खुशहाली की दुआएं मांगते है। और बच्चे इस पारंपरिक गीत,फुलदेई, छम्मा देई…जतुकै देला, उतुकै सही…दैणी द्वार, भर भकार के जरिए गांव के हर घर के लिए खुशहाली की दुआएं मांगते है।
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