रियल एस्टेट में रेरा (R.E.R.A.) एक महत्वपूर्ण अधिनियम- न्यायमूर्ति यू.सी.ध्यानी

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अंचल पंत , नैनीताल ( nainilive.com )- अधिवक्ता परिषद उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड द्वारा शुरू की गई “वी0के0एस0 चौधरी स्मृति व्याख्यान माला ” में आज उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त व अपीलीय न्यायाधिकरण ( रियल एस्टेट रेगुलेटरी एक्ट ) उत्तराखंड श्री यू.सी.ध्यानी जी ने रेरा (R.E.R.A.) एक विश्लेषण विषय पर बताया कि रेरा अधिनियम 2017 में लागू हो चुका है जिसमे समयानुसार बदलाव होते रहे है किन्तु अभी भी यह शैशवावस्था में है।

रियल एस्टेट में यह बहुत महत्वपूर्ण है।यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धान्त पर आधारित है जोकि बिल्डर और फ्लैट या अपार्टमेंट खरिदने वाले दोनो पक्ष को ही सुनता है और दोनों को ही साक्ष्य का पूरा मौका देता है। रेरा को अंतरिम आदेश,दण्ड व इंटरेस्ट पीड़ित पक्ष को दिलाने की शक्ति है। यदि बिल्डर द्वारा या प्रमोटर द्वारा तय समयसीमा में कब्जा अपार्टमेंट खरीददार को नही देता है तो रेरा में जा सकते है यदि खरीदार तय समय में कब्ज नही लेता है तब प्रमोटर या बिल्डर रेरा में जाकर समस्या को सुलझा सकते है।


प्रमोटर या बिल्डर जिस भी प्रोजेक्ट को बनाएगा उसे रेरा में रजिस्ट्रेशन कराएगा और उसको बेब साइट पर मय दस्तावेज डालेगा व समय समय पर अप टू डेट करेगा. उसका नक्शा सम्बंधित विकास प्राधिकरण से पास होना चाहिए किन्तु यदि एक्ट पास होने से पहले के प्रोजेक्ट है या 8से अधिक अपार्टमेंट नही है या 500मीटर स्कवायर नही है तो रेरा में जाने की आवश्यक नही है। प्रोजेक्ट कम्पलीट होने का सर्टिफिकेट देगा यदि कोई प्रोजेक्ट किसी तीसरी पार्टी को ट्रांसफर करता है तो दो तिहाई प्रमोटर के बिना नही होगा।यदि खरीददार ने पैसे जमा कर दिए प्रमोटर को और दो साल में वह कब्जा नही देता है तो रेरा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से उच्चतम मार्जिन के साथ साथ दो परसेंट इंटरेस्ट के साथ पैसा वापस दिलाएगा।.


रेरा में पार्टी स्वंय, चार्टेन्ट अकाउंटेंट, कंपनी अकाउंटेंट व अपने विद्वान अधिवक्ता के माध्यम से प्रस्तुत हो सकते है। नोटिस देने आवश्यक नही है। रेरा में अपील सिंगल नही अपितु डिविजनल बैंच सुनेगी और उसका आदेश सिविल न्यायलय की तरह ही डिक्री होगा।

कार्यक्रम का संचालन देहरादून से नितिन वशिष्ठ एडवोकेट ने किया। सजीव प्रसारण में जानकी सूर्या, भास्कर चंद्र जोशी, गौरी देवी देव, ममता जोशी, योगेश पाण्डेय, नवीन तिवारी, राहुल कंसल, वीरेंद्र रावत, सुयश पन्त,सचिन मेहता आदि अधिवक्ताओं की उपस्थिति रही।

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