Exclusive : खंडहर हो चुके घरों में फिर से लौटने लगी है रौनक
हिमानी बोहरा, नैनीताल ( nainilive.com)- यूं तो पलायन रोजगार की तलाश में पूरे देश में होता रहता है। देवभूमि उत्तराखंड में भी पलायन हुआ यहां के गावों से लोग शहरों की तरफ गए तो किन्तु वापस लौट कर ना आए जिस कारण गावों के गांव खंडहर में तब्दील हो गए। कोरोना काल में रिवर्स पलायन के चलते खंडहर घरों की रौनक वापस लौट रही है। देवभूमि में पलायन का मुख्य कारण रहा है रोजगार और सुविधाओं का अभाव। जिसके चलते युवा पीढ़ी रोजगार की तलाश में महानगरों की तरफ पलायन कर गई और उन्हीं शहरों की चकाचौंध में बस गई। पीछे गावों में रह गए महज़ बूढ़े और खंडहर होते घर।
सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी वह युवाओं को उत्तराखंड वापस लाने में असमर्थ रही तो वहीं कोरोना की मार ने सभी को रिवर्स पलायन करने पर मजबुर कर दिया। इसके बाद मानों जैसे खंडहर घरों की खुशियां फिर से लौट आया हो। बंजर पड़ी भूमि में फिर फसलों से लहलहाने की उम्मीद जाग गई हो। लेकिन अब भी सरकार के सामने एक चुनौती खड़ी है जिसके मुताबिक युवाओं के लिए रोजगार सबसे बड़ी समस्या है। गावों को इतना मजबूत बनाना होगा कि यहां के लोग गुजर बसर वेतन वाली नौकरी के लिए पलायन न करें और न ही यहां की महिलाएं सुविधाएं और आराम देह ज़िन्दगी के लिए महानरों की तरफ ना जाएं।
देश के दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को वापस लाने में सभी राज्यों की सरकारें जुटी हुई है। गृह मंत्रालय की अनुमति मिलने पर एक वेबसाइट लॉन्च की गई जिसके जरिए देश के अलग अलग राज्यों से अपने गांव लौटने के लिए प्रवासियों द्वारा वापस लौटने की गुहार लगाई गई। जिसके चलते सरकारों , एनजीओ सभी लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने में जुटे हुए है और अब तक हजारों लोग अपने घर में पहुंच भी चुके हैं लेकिन अब भी कई हजारों लोग महानगरों और और दूसरे राज्यों में फंसे हुए है जो इसी इंतजार में आस लगाए बैठे है कि उनका नंबर भी आएगा और वो भी अपने गांव पहुंच पाएंगे।
गावों में रुकना चाहते है लोग?
एक तरह से देखा जाए तो जो लोग अच्छी नौकरियों में वह तो स्थिति सामान्य होने पर वापस लौट जाएंगे लेकिन जो सिर्फ गुजर बसर करने के लिए ही कमा पाते है उनको गावों में रोका जा सकता है बस जरूरत है तो सरकार की रोजगार के लिए अच्छी रणनीति तैयार करना । हालांकि उत्तराखंड में बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर है और ना ही सरकार लाखों लोगों को नौकरी से सकती है लेकिन उन्हें स्वरोजगार से जोड़ा जा सकता है। राज्य में पर्यटन को लेकर अत्यधिक संभावनाएं है। धार्मिक स्थल, हिल स्टेशन , एडवेंचर में आने वाले लोगों की संख्या काफी तादात में ज्यादा है इसी के साथ अगर एग्रीकल्चर और हॉर्टिकल्चर की तरफ ध्यान दिया जाए तो राज्य की इकनॉमी और इक्लॉजी में काफी हद तक सुधार लाया जा सकता है जिससे पलायन को भी काफी हद तक रोका जा सकता है ।
कोरोना महामारी के चलते राज्य में हजारों लोग रिवर्स माइग्रेट हो चुके है जिनमे से लगभग 55-60 प्रतिशत लोग देश के विभिन्न राज्यों से लौटे है. 5-7 प्रतिशत लोग दूसरे देशों से और 30-35 प्रतिशत लोग महानगरों से लौटे है। इनमें से लगभग 25-30 प्रतिशत लोग ही राज्य में रहना चाहते है । लौटे हुए लोगों में छात्र और पेशेवर लोग भी है जिनमें से अधिकतर तो स्थिति सामान्य होने पर वापस लौट जाएंगे। राज्य में रोजगार ना होना, स्वास्थ्य- शिक्षा की व्यवस्था अच्छी न होना पलायन का सबसे बड़ा कारण रही है। रिवर्स पलायन में लोगों की आमदनी पर भी काफी असर पड़ा है इनमें से या तो किसी की आमदनी कम हो गई है या फिर शून्य है हो गई है। कोरोना ने रिवर्स पलायन के रूप में राज्य सरकार को सुनहरा मौका तो दे दिया है लेकिन अगर रोजगार के लिए राज्य में सही नीति अपनाई जाए तो पलायन को रोका जा सकता है और गावों कस्बों को दुबारा खाली होने से बचाया जा सकता है फिर से बंजर पड़ी भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है।
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