विशेष : सूरज की किरणों से लड़ता कोहरे का झरना, धूमकेतु की तलाश में सांझ के बेला की कहानी

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गांजे* के ऊपर शाम हल्का सा सतरंगी धुंवा नज़र आया,

जहां इंद्रधनुष के दाई ओर  रिमझिम बारिश तो बाई ओर आसमान साफ नजर आया,,

पीछे किरणों के साथ बूँदे चमकती हुई टिमटिमाती नज़र आई,,

कदम कुछ किमी आगे बढे तो सूरज की किरणों से लड़ते कोहरे का झरना पहाड़ो से छटता हुआ आसमाँ की तरफ बहने की कशमकश मे था।

सूरज जब डूबा था तब कोहरे का आगोश था चारो तरफ धुंवा-धुंवा सा समा था,,

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फिर हवाओ का हल्का सा झोंका आया जिसने कोहरे की चादर को जमी मे बिछाया सामने देखा तो वो विदा ले चुका था .

कल फिर आने का वादा, बादलों को अपना रंग दे कर अपने होने का एहसास बिछड़ते पलों को याद ना करने की बात बोल ओझल हो चुका था।

ताकि मन बादलो के रंग मे रम जाए और वो याद ही ना आये।।

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बादलो ने कुछ देर का ही साथ निभाकर मन को लुभाया, अंधेरे की बारी आई बादलो ने भी रंगों से विदा ले ली।  

बस दो चार तारो को अंधेरा साथ ले आया और बोला टिमटिमाते हुए तारो को रात भर निहारना, रंगों से उन्हें भी पहचानना ,,,

टूट कर गिरे जो कोई तारा तो उन्हें सम्भालना.

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*गांजा नैनीताल के निकट एक गांव का नाम है।

लेखक एवं कवि बबलू चन्द्रा की रचनाएं कुछ हटकर होती हैं। शब्दों को लौ में पिरोने के साथ उनसे खेलने की अद्भुत क्षमता उनके पास है। युवा लेखक बबलू चन्द्रा की गत सांय की चंद शब्दों की लाइव रचना यहा प्रस्तुत की हैं। लेखक कविता लेखन के साथ ही ास्त्रो फोटोग्राफी वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी में भी रूचि रखते हैं. न्यूज़ डेस्क,nainilive.com

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