राज्य स्थापना दिवस विशेष: विकास को तरसती देवभूमि उत्तराखंड

Share this! (ख़बर साझा करें)

संतोष बोरा, नैनीताल (nainilive.com) – 8 नवम्बर 2000 को दिन के 3 बजे उत्तर प्रदेश से एक नए राज्य का गठन कर दिया गया था जिसका नाम था उत्तरांचल, जो बाद मै बदल कर उत्तराखंड कर दिया गया। आज उत्तराखंड राज्य का 21वाँ जन्म दिन राज्य सरकार की तरफ से धूम धाम से मनाया जा रहा है। शहर मै जगह जगह कार्यक्रमो का आयोजन किया जा रहा है। पर विचार करने वाली बात यह है।20 साल राज्य के गठन के बाद भी यहाँ पर कुछ खाश बदलाव नही दिख रहा है, जिस सोच के साथ उत्तराखंड राज्य का गठन करवाया गया था,अभी तक इन 20 सालो मै ऐसा कुछ होता नहीं दिखाई दे रहा।

20 साल पहले जिन मुलभुत चीजो की जरूरत थी आज भी वही जरूरते उत्तराखंड की जनता को है।रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य।

यह भी पढ़ें 👉  नैनीताल नगर निकाय चुनाव : दूसरे राउंड के बाद कांग्रेस प्रत्याशी सरस्वती खेतवाल 2811 मतों से आगे

रोजगार। रोजगार के हालत वैसे ही है, शिक्षा के हालत भी कुछ ठीक नहीं है,और स्वास्थ्य सेवाओं की तो कमर ही टूटी है। बेरोजगारी, उत्तराखण्ड राज्य बनने के बाद लोगो का पलायन और ज्यादा बढ़ गया है गाँव के गाँव खाली हो गए है,आकड़ो की माने तो अब तक लगभग 2500 गाँव वीरान हो चुके है! क्यू की ना अब गाँव मै खेतो मै कुछ होता है और ना कोई रोजगार है, जिसकी वजह से यहाँ के गाँव के लोगो को रोजगार की तलाश मै बड़े शहरो का रुख करना पड़ रहा है।

शिक्षा : शिक्षा की ब्यवस्था भी बहुत अच्छी नहीं है, बड़े स्तर पर कॉलेज इंस्टीयूट तो खोल दिए गए है ! पर जड़े अभी भी खोखली है प्राइमरी शिक्षा का स्तर बहुत गिरा हुवा है स्कूलों की कमी, अध्यापको की कमी, दूर दूर गाँव के प्राइमरी स्कूल मे एक ही अध्यापक होता है और वही 1 से लेकर 5वी तक के सभी बच्चो को सभी विषय पढ़ाता है, ओर वो भी सप्ताह मै 3 या 4 दिन बाकि दिन वो अध्यापक भी थक जाता है।

यह भी पढ़ें 👉  दुसरे राउंड की मतगणना के बाद इन पांच वार्डों के नतीजे घोषित , सपना बिष्ट ने लगाईं हैट ट्रिक

स्वास्थ्य : स्वास्थ्य सेवा का तो हाल ही इतना बुरा है। सिमित अस्पताल है और गिने चुने डॉक्टर, और अस्पताल इतने छोटे 10 से 11वाँ मरीज को भर्ती करने की जगह नही होती और गाँव से शहर तक मरीज को लाने तक कई बार तो मरीज की रास्ते मै ही मौत हो जाती है एम्बुलेंस है मगर नाम मात्र की और जो है उन के अंदर कोई सुविधा नहीं है ! एम्बुलेंस के साथ मै कोई मान्यता प्राप्त स्टाफ नही होता। अगर डॉक्टर साहब छुट्टी पर चले गए या किसी दिन अस्पताल नही आये तो उनकी जगह लेने के लिए कोई दूसरा डॉक्टर उपलब्ध नहीं होता है उस दिन मरीज को अस्पताल स्टाप इधर से उधर भटकाता रहता है ऐसे मै मरीज के तामिरदारो के पास एक ही विकल्प बचता है बस डॉक्टर साहब के आने का इंतजार करे और कई बार यह इंतजार मरीज के लिए आखिरी इंतजार होता है।

यह भी पढ़ें 👉  हल्द्वानी हुई भगवामय, गजराज बिष्ट की शानदार जीत ने दिलाई भाजपा को नगर निगम में हैट ट्रिक

उत्तराखंड राज्य बनाने मै सबसे अहम रोल निभाने वाले आंदोलनकारी आज भी मायूस ही नजर आते है , इनका भी यही कहना है कि जिस सोच के साथ हमने उत्तराखंड राज्य के लिए लड़ाई लड़ी थी उस उम्मीद के मुताबिक इन 16 सालो मै कुछ भी होता नहीं दिखाई दे रहा है।

Ad Ad Ad Ad
नैनी लाइव (Naini Live) के साथ सोशल मीडिया में जुड़ कर नवीन ताज़ा समाचारों को प्राप्त करें। समाचार प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़ें -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page