सफलता की कहानी – खराब आर्थिक स्थिति, हिंदी मीडियम के औसत छात्र से लेकर सिविल जज तक का सफर

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शिवांशु जोशी , भवाली ( nainilive.com )- पी सी एस जे 2019 की परीक्षा का फाइनल रिजल्ट घोषित होने के साथ ही काफी समय से मेहनत कर तैयारी में लगे छात्रों में खुशी की लहर है. प्री मैन्स फिर इंटरव्यू के बाद कुल 17 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है जो ट्रेनिंग के बाद सिविल जज के रूप में अपनी सेवाएं देंगे, उन्ही में से एक नाम है नवल सिंह बिष्ट का , जो समीपवर्ती भूमियाधार गांव के निवासी है जिनका चयन सिविल जज के रूप में हुआ है और इसके पीछे उनके संघर्ष की कड़ी कहानी भी है.

हिंदी मीडियम के औसत छात्र से लेकर सिविल जज चुने जाने तक नवल की कहानी युवाओ के लिये किसी प्रेरणा से कम नही. परिवार की साधारण आर्थिक स्थिति व कोचिंग के लिये उपयुक्त संसाधन ना होने के बावजूद नवल ने यह मुकाम हासिल किया है. बताते चले कि नवल के पिता भूमियाधार गांव में छोटी परचून की दुकान चलाते है. तीन भाई बहनों में नवल सबसे छोटे है. दो बहनों रंजीता व दीपिका की शादी हो चुकी है. नवल बताते है कि हर पिता की तरह उनके पिता ने भी उन्हें अच्छी शिक्षा के लिये पहले डीवीटो स्कूल भवाली व कक्षा 6 में भवाली के महर्षि स्कूल में भर्ती कराया व बच्चो की अच्छी शिक्षा लिये कुछ समय तक उनके पिता ने टैक्सी वाहन तक चलाया। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नही होने पर आठवी के बाद नवी कक्षा में उन्होंने नगर के सरकारी स्कूल गोविंद बल्लभ पंत इंटर में दाखिला लिया, जहा से विज्ञान विषय के साथ हाईस्कूल व बाद में इंटर की परीक्षा कला विषय में पास करी. आगे नैनिताल डिग्री कॉलेज से बी ए करने के बाद अल्मोड़ा के सोबन सिंह जीना कैंपस से एल एल बी की परीक्षा पास करी.

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उन्होंने बताया कि वह पढ़ाई में औसत छात्र रहे. वह हाईस्कूल से लेकर एल एल बी तक कि परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास की है. 2013 से वर्ष 2015 तक नैनीताल के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में प्रैक्टिस करी व वर्ष 2016 में कोचिंग के लिये दिल्ली का रुख किया। नवल ने बताया कि जब उन्होंने कोचिंग की ठानी तब उनके पास फीस तक देने के लिये पूरे पैसे नही थे, दिल्ली में रहना व खाना तो दूर की बात. जैसे तैसे दिल्ली पहुचे, जहा राहुल्स आई ए एस कोचिंग ज्वाइन किया वहा उन्होंने पूरी पढ़ाई अंग्रेज़ी में करनी शुरू की. शुरुवात में अंग्रेज़ी में पकड़ ढीली होने पर उन्हें विषयो को समझने में बेहद परेशानी हुई, लेकिन कोचिंग के राहुल सर ने उनका हौसला कम नही होने दिया जिससे उनमें आत्मविश्वाश बढ़ता गया. बीच बीच में आर्थिक परेशानियां भी आयी, तब दोस्तो ने मदद कर हौसला बढ़ाया। घर के आर्थिक हालात ठीक ना होने पर वह डेढ़ साल बाद वह वापस गाँव आ गये जहा नैनिताल कोर्ट में प्रैक्टिस के साथ ही थोड़ी बहुत आमदनी कर घर खर्चे में पिता का हाथ बटाने के साथ ही परीक्षा की तैयारियों में लगे रहे. इस दौरान कई बार निराश भी हुवे, लेकिन फिर हिम्मत कर वापस पड़ाई में जुट जाते। उत्तराखण्ड पी सी एस जे की वर्ष 2018 की परीक्षा में असफल भी हुवे। सिविल जज बनने का सपना फिर भी टूटने नही दिया। 2019 में फिर फार्म भरा, इस बार पहले प्री फिर मैन्स व बाद में इंटरव्यू तक का सफर पर तय करते हुवे सिविल जज बने । उन्होंने सफलता का मन्त्र बताते हुए कहा कि कोई भी परीक्षार्थी कभी निराश ना हो. लगातार मेहनत व लगन परीक्षार्थी को उसकी मंजिल तक पहुचा ही देती है. कहा कि निराशा को अपने पास ना आने दे व असफल होने के बाद फिर एक बार पूरी मेहनत से तैयारी करे. वास्तव में असफलता आपको बहुत कुछ सिखाकर जाती है और असफलताओं के दौरान ही आप अपनी क्षमताओं से रूबरू हो पाते है.

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नवल ने अपनी सफलता का श्रेय पिता आनंद सिंह बिष्ट, माता यशोदा बिष्ट, राहुल्स कोचिंग सेंटर दिल्ली के राहुल सर, पंकज बिष्ट, भरत भट्ट, अखिलेश शाह, बलवंत सिंह भौर्याल, पंकज चौहान, राजेश रौतेला, सिद्धार्थ सिंह व अपने अधिवक्ता साथियों व मित्रो को दिया।

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