इस कठिन समय में विश्व को सत्य और करुणा की आवश्यकता है – मोनिका टॉमस

इस कठिन समय में विश्व को सत्य और करुणा की आवश्यकता है - मोनिका टॉमस

इस कठिन समय में विश्व को सत्य और करुणा की आवश्यकता है - मोनिका टॉमस

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मेरे बचपन की शुरुआती यादें सादगी और स्वतंत्रता के बारे में थीं, ठीक मेरे जन्म-स्थान, कुन्नूर की तरह जहां मैं बड़ी हुई थी। मुझे लगता था जैसे लोगों का चरित्र नगर का ही एक प्रतिबिंब था … सरल, सच्चा और दयालु। पीछे मुड़कर देखने पर, मुझे लगता है जैसे मेरा मन आज भी उन पहाड़ों की विशालता में भटक़ रहा हो। मैं हमेशा सोचती थी कि जीवन और अस्तित्व कहाँ से आया है! जैसे-जैसे समय बीतता गया, मैं अपनी पढ़ाई और फिर नौकरी के लिए एक बड़े शहर में चली गयी; मेरे पहले के निर्मल जीवन की तुलना में वहां जीवन बिलकुल विपरीत था। उन नए तरीकों से अनुकूल होने की कोशिश करते हुए, मैं उस शांत माहौल को खोज रही थी जो कभी मेरे पास था। लेकिन उस शांत अनुभव की तलाश सरल नहीं थी, क्योंकि लगभग हर चीज जो मुझे मिली वह सतही और दिखावटी थी।


2017 के दौरान, मेरा परिचय फालुन दाफा से हुआ (जिसे फालुन गोंग भी कहा जाता है, जो सत्य, करुणा और सहनशीलता के सिद्धांतों पर आधरित मन और शरीर का साधना अभ्यास है)। कुछ ही हफ्तों में मैं इसके व्यायाम और ध्यान को नियमित रूप से करने लगी, जिससे मुझे ऊर्जावान, बेहद जागरूक और खुद को कई तरीकों से जुड़ा हुआ महसूस होने लगा। मेरे मित्र के सुझाव पर, जिसने मुझे अभ्यास के बारे में बताया था, मैंने फालुन दाफा के संस्थापक श्री ली होंगज़ी द्वारा लिखित पुस्तक ज़ुआन फालुन को पढ़ना शुरू किया। पुस्तक में मुझे उन प्रश्नों के उत्तर मिले जो मैं हमेशा से खोज रही थी। मैंने सत्य, करुणा और सहनशीलता के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाया और मुझे बहुत से सकारात्मक बदलाव महसूस हुए। मैं समझ गयी कि मौलिक रूप से बदलाव लाने के लिए अपने मन और शरीर का उत्थान करना आवश्यक है।

फालुन दाफा – वर्तमान पीढ़ी के लिए साधना अभ्यास
फालुन दाफा – वर्तमान पीढ़ी के लिए साधना अभ्यास


न्यूयॉर्क की अपनी एक यात्रा के दौरान, मैं चीन की एक लड़की से मिली, हमने थोड़ी बात की और मैंने उसे बताया कि कैसे फालुन गोंग का अभ्यास करने के बाद मैं एक बदले हुए व्यक्ति की तरह महसूस करती हूं। यह सुनने के बाद वह कुछ आशंकित लगी और उसने मुझे बताया कि यह अच्छा नहीं है और इसका अभ्यास नहीं करना चाहिए। यह सुन कर मुझे एक धक्का सा लगा, क्योंकि दुनिया भर के लाखों अन्य लोगों की तरह मुझे भी इस अभ्यास से बहुत लाभ हुआ था। मुझे तब एहसास हुआ कि चीन में फालुन गोंग पर हो रहे अत्याचार के बारे में मुझे बहुत कम जानकारी है।

जानकारी की तलाश में, मैंने पाया कि चीनी कम्युनिस्ट शासन ने जुलाई 1999 से इस अभ्यास को खत्म करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया था। फालुन गोंग की बढ़ती लोकप्रियता और स्वतंत्रता को कम्युनिस्ट शासन ने एक चुनौती समझा और इसे दबाने के लिए क्रूर दमन आरम्भ कर दिया जो आज तक जारी है। लाखों फालुन गोंग अभ्यासियों को बंदी बना लिया गया, लेबर कैंप में भेजा गया, उनकी जमीन-जायदाद जब्त कर ली गयी। अभ्यासियों को शारीरिक और मानसिक यातनाएं दी जाती हैं और अभ्यास को छोड़ने के लिए ब्रेनवाश किया जाता है। डॉक्यूमेंट्री “ह्यूमन हार्वेस्ट” देखने के बाद, मुझे जो सबसे भयावह लगा, वह था कि चीनी शासन, सरकारी अस्पतालों की मिलीभगत से, फालुन गोंग अभ्यासियों के अवैध मानवीय अंग प्रत्यारोपण के अपराध में संग्लित है। इस अमानवीय कृत्य में हजारों फालुन गोंग अभ्यासियों की हत्या की जा चुकी है और बड़े पैमाने पर अवैध धन कमाया जा रहा है।


आज चीन में, फालुन गोंग एक ऐसा विषय है, जिसके बारे में कोई बात नहीं करना चाहता। जिस चीनी लड़की से मैं मिली थी, उसी तरह कई लोग अब भी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा फैलाए गए झूठे प्रचार और मनगढ़ंत जानकारियों पर विश्वास करते हैं, वे या तो डर जाते हैं या फालुन गोंग के विषय में कुछ सुनना नहीं चाहते।


वास्तविकता जानने की कोशिश में, मुझे सच्चाई का पता चला। मुझे मानवाधिकारों के दुरुपयोग के इस मुद्दे पर तथ्यों को स्पष्ट करना और जागरूकता बढ़ाना उचित लगता है, क्योंकि इससे अमानवीय दमन को समाप्त करने में मदद मिलेगी । इस प्रकार लोग सूचित निर्णय ले सकते हैं और झूठे प्रचार से गुमराह नहीं होंगे।


कम्युनिस्ट चीन में प्रचलित परिस्थितियाँ किसी भी आस्था रखने वाले व्यक्ति के लिए बहुत विषम हैं, विशेष रूप से मेरे लिए जो अपने पहाड़ी नगर की अद्भुत यादें संजो कर रखे है, जहां लोग अभी भी शांति और सादगी का जीवन जीते हैं क्योंकि वे आस्था के मूल अधिकार का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं! इसके विपरीत मुझे फालुन गोंग के अद्भुत अभ्यास के माध्यम से अपनी खोज के उत्तर मिले। कठिन समय के बीच मुझे सबसे बड़ा उपहार मिला … और मेरे अनुभवों के माध्यम से मुझे एहसास हुआ, सच्चाई कभी नहीं बदल सकती … भले ही आपका परिवेश बदल जाए! इस कठिन समय में विश्व को सत्य और करुणा की आवश्यकता है।
(मोनिका टॉमस तमिलनाडु के पहाड़ी नगर कुन्नूर से हैं। उन्होंने मुंबई से अपने मॉडलिंग करियर की शुरुआत की। वर्तमान में, वे न्यूयॉर्क में एक अंतरराष्ट्रीय मॉडलिंग एजेंसी के लिए काम कर रही हैं और एक सफल फैशन मॉडल हैं)

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