श्रद्धांजलि : डा० इन्दिरा हृदयेश जी का जाना

श्रद्धांजलि : डा० इन्दिरा हृदयेश जी का जाना

श्रद्धांजलि : डा० इन्दिरा हृदयेश जी का जाना

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हेमंत बिष्ट , नैनीताल – डा० इन्दिरा हृदयेश जी का जाना उत्तरारवण्ड के लिये भारी क्षति ह्रै। हर किसी को प्रेरित करना,सिखाना, स्पष्ट बातें करना उनकी आदत थी। इतने बड़े व्यक्तित्व के विषय में लिखने में संकोच होना स्वाभाविक है,लेकिन मन कह रहा ह्रै,अगर आज कुछ न कहा जायेगा तो फिर कब कहा जायेगा। एक कार्यक्रम संचालक के रुप में कार्य करते हुए मुझे कई अवसरों पर उनका सानिध्य मिला,प्रत्येक को मान देना,महत्व देना उनके स्वभाव में था,आज स्मृतियों में वह क्षण उभर रहे हैं।

हमारे विद्यालयी कार्यक्रमों में जब आप आती तो आपके आशीर्वाद की विषय वस्तु बाल केन्द्रित होती,जब किसी गीत संगीत के कार्यक्रम की मुख्य अतिथि होती तो उनकी विषय वस्तु संस्कृति विशेष ही होती। सरकारी कार्यक्रमों के आयोजनों में प्रोटोकॉल का विशेष ध्यान देते हुए,आयोजनों के लिये बड़े अपनेपन से निर्देश देती,सिखाती थी। अतिथियों में सभी पार्टियों के प्रतिनिधि होते तो सभी की विशेषताओं को वो बड़े सम्मान से मंच पर बोलती थी।

मुझे याद ह्रै,एक कार्यक्रम में मा० इन्दिरा जी,और मेयर डा० जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला जी दोनों थे,मुझे याद ह्रै इन्दिरा जी द्वारा मा० रौतेला जी की शालीनता ,शिक्षा दीक्षा पर बड़े अपनत्व से कहा जाना और डा० रौतेला जी द्वारा उनके प्रति सम्मान ,अनुकरणीय था।मेरे एक मित्र जो चण्डीगढ से थे कहने लगे ,दोनों एक ही पार्टी से है ?मैने जब कहा नहीं, तो बोले,” वास्तव में देवभूमि है आपका उत्तरारवण्ड ।” हमेशा सच कहना उनकी आदत थी। मुझे याद है,आदरणीय घनश्याम भट्ट जी – हरीश पाण्डे जी ने “कथा कुमाऊं की ” लाइट एण्ड साउण्ड की प्रस्तुति तैयार की तो उन्होने उत्तरारवण्ड की संस्कृति के सम्मान के लिये बहुत बड़ा आशीर्वाद दिया,मैंने उस प्रस्तुति में वॉइस ओवर किया था ।जब घन्दा और निर्देशक हरीश दाज्यू उन्हें साउण्ड ट्रैक सुनाने गए तो उन्होने मेरी आवाज् पहचानते ही कहा था “अरे यह तो हमारा हेमंत है।” उनका अपनापन ही सबको आगे बढने के लिये प्रेरणा देता था।

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श्री दिनेश मानसेरा जी की कृति “प्रगति पथ” का जब विमोचन हो रहा था तो स्क्रिप्ट,चित्रांकन ,निर्देशन ,वाइस ओवर . . . सभी की भूमिकाओं पर बड़े विश्लेषणात्मक तरीके से बातें करते हुए आशीर्वाद दिया था। यह थी उनकी गहन विश्लेश्वणात्मक शक्ति। लता कुंजवाल की कृति संस्कार गीत ,पुस्तक और सी ड़ी का विमोचन होना था, साथ ही मेरी पुस्तक “पहाड़ाक क्वीड़,पहाड़ेकि पीड़ ” का भी विमोचन होना था, मा० हरीश रावत जी,मा० इन्दिरा जी,मा० गोविन्द सिह कुजवाल जी,मा० डा० रेनू अधिकारी जी , मा० हेमंत बगडवाल जी,मा० नवीन वर्मा जी ,मा० शोभा जी ,श्री जुगल पेटशाली जी आदि आदि गणमान्य अतिथि मंच पर थे।

व्यक्तिगत रुप से सभी आयोजकों को एक आयोजक के रूप में निर्देश दे रही थी। जिन जिनका सहयोग रहा एक एक को शाबाशी दे रही थी । यह थी उनकी एक उत्साह वर्द्धक की भूमिका। श्रीमती मीनू अग्रवाल बिष्ट के सस्थान के कार्यकम “वेदक” में उनका आना निश्चित होता था,वहाँ अनुभव होता था,सभी अतिथि गण पार्टी की बात न कहकर केवल भारतीय संस्कृति और परम्पराओं की ही वातें करते थे।बिना उनके आशीर्वाद के कोई कार्यक्रम सम्पन्न नहीं होता था। मुझे याद ह्रै,स्वास्थ्य मेले में मा० डा० इन्दिरा जी आयी थी, एक बार तत्कालीन जिलाधिकारी डा० भुपिन्दर कौर जी की प्रशंसा करते हुए उन्होने बालिकाओं ,और मातृ शक्ति की समाज में महत्व पूर्ण भूमिका का जिक्र करते हुए उनके स्वास्थ्य की सूरक्षा हेतु ऐसी बातें रखी कि कुछ बच्चियाँ मंच पर आकर कहने लगी कि अब हम भी आप ही की तरह बोलकर सभी को जागृत करेंगे।यह था उनका एक प्रेरक रूप।

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जागरण उत्सव हल्द्वानी।माननीया,डा० हृदयेश,मा० मुख्य मंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत जी,मा०काबिना मंत्री यशपाल आर्य जी,मा० मेयर डा० जोगेन्द्र पाल सिंह रौतेला जी आदि नियत समय पर आ गये थे,कुछ कवियों को विलम्ब हुआ,सम्पादक महोदय श्री राघवेन्द्र चढ्ढा जी ने अतिथियों के सम्मानार्थ कहा कि कार्यक्रम शुरु करते हैं,तो मा० डा० हृदयेश जी ने कहा ,” देश के सम्मानित कवि ह्रै,कुछ देर उनके सम्मान के लिये रुक जाते है”श्री गणेश जोशी जी मंच पर मुझे सूचित करने आए ,मुझे आभास हुआ कि आदरणीय चढढा जी के मन की बात पढते हुए उन्होने ऐसा निर्णय दिया। वह था उनका एक आत्मीय संरक्षक का रूप।

शरदोत्सव नैनीताल में कई विशिष्ट व्यक्तियों का सम्मान होना था,सभी पहुंच चुके थे प्रो० गिरीश रंजन तिवारी जी उपस्थित नही थे।मैंने फोन किया,प्रो० तिवारी बोले मुझे कार्यक्रम के समय बदले जाने पर कनफ्यूजन हो गया था मैं पँहुच रहा हूँ।मेरी चिन्ता और व्यग्रता को वह पढ चुकी थी,मुझे इशारे से बुलाया,पूछा,मैं मंच पर गया तो उनके सचिव श्री कमल किशोर कफल्टिया आये,कहने लगे,मैडम कह रही हैं,घबराओ मत थोड़ी देर इंतजार कर लो।यह था उनका धैर्य बधाने वाला रुप।महिला समूहों की होली हो, किसी की भी पुस्तक का विमोचन, मुझे याद ह्रै,हेमा हर्बोला जी की पुस्तक का विमोचन अपने ही होटल में करवाया, डी . के . पंत जी से कहा कि बच्चों के अत्साहवर्द्धन के लिये ऐसा कार्यक्रम कराना ह्रै,तो सहर्ष स्वीकृति मिल जाती ।

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विद्यालयों के उत्सव हों, खेल उत्सव हों,उनका स्वाभाविक रूप से शामिल होकर,एक अभिभावक के रुप में आशीर्वाद देना हमेशा स्मृतियों मैं बना रहेगा। शिक्षकों के हित के लिये सदा सदैव उनका समर्पण हमें हमेशा याद रहेगा।उनके राजनैतिक जीवन पर आज सभी चर्चा कर रहे हैं,सामाजिक जीवन पर एक कार्यक्रम संचालक के रूप में अनेक कार्यक्रमों में मैंने जो कुछ पाया,मैं स्वयं को कहने से रोक नहीं पा रहा हूँ। श्री सुमित जी एवं सभी परिजनों को इस दारूण दुख को सहने की ईश्वर शक्ति प्रदान करें। मा० डा० हृदयेश को सच्ची श्रृद्धांजलि . . भाव भीनी श्रृद्धांजलि।

हेमंत बिष्ट जी की फेस बुक वाल से साभार कॉपी ( लेखक हेमंत बिष्ट जाने माने कवि , लेखक एवं उद्घोषक हैं )

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