नैनीताल का दुर्भाग्य,45 हजार जनता के हितों के लिए आमरण अनशन पर बैठा है क्षेत्र का प्रथम नागरिक, सुध लेने वाला नही कोई

नैनीताल का दुर्भाग्य,45 हजार जनता के हितों के लिए आमरण अनशन पर बैठा है क्षेत्र का प्रथम नागरिक, सुध लेने वाला नही कोई

नैनीताल का दुर्भाग्य,45 हजार जनता के हितों के लिए आमरण अनशन पर बैठा है क्षेत्र का प्रथम नागरिक, सुध लेने वाला नही कोई

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संतोष बोरा , नैनीताल ( nainilive.com )- शासन से नगर पालिका को बजट आवंटित नही किए जाने को लेकर नैनीताल के प्रथम ब्यक्ति सचिन नेगी सहित सभी सभासद नगर पालिका प्रांगण में बीते एक सप्ताह से धरने पर बैठे हुए थे। मांग नही माने जाने पर सोमवार आठवे दिन से पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी आमरण अनशन पर बैठ गए है।

जनहित व पालिकहित के मुद्दों को लेकर क्षेत्र के प्रथम नागरिक पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी बीते एक सप्ताह से धरने पर बैठे थे लेकिन जब शासन प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ा दो सोमवार से वे आमरण अनशन पर बैठ चुके हैं। अब अगर इसको नैनीताल का दुर्भाग्य कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। पालिका अध्यक्ष सचिन नेगी का आमरण अनशन पर बैठने का मतलब नैनीताल की 45 हजार जनता अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठी है इसके बावजूद अभी तक शासन प्रशासन की कानों पर जूं लिखती नहीं दिखाई दे रही है। शायद ही नगर पालिका इतिहास में इससे पहले कोई पालिका अध्यक्ष पालिका हित व जनहित के मुद्दों को लेकर आमरण अनशन पर बैठा हो।

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पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी का कहना है कि हमें प्रतिमाह एक करोड 21 लाख की ग्रांड शासन से आती है। जिसमे से 1करोड़ 16 लाख पालिका कर्मचारियों को 15 लाख संविदा व आउटसोर्सिंग की तनख्वा पर खर्च होता है और 34 लाख पेंसन। कुल एक करोड़ 62 लाख प्रति माह तनख्वा व पेंसन पर खर्च किया जाता है।कोरोनकाल में पालिका की आउटसोर्सिंग से होने वाली आय बिल्कुल बंद हो चुकी है।

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पालिकाध्यक्ष सचिन नेगी ने कहा है कि कोरोना संक्रमण के चलते पालिका वित्तीय संकट से जूझ रही है। पूर्व से ही पालिका के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन और एरियर का करीब 9 करोड़ रुपया बकाया है। इधर कोरोना के चलते विभिन्न साधनों से होने वाली करीब चार करोड़ का अब तक पालिका को नुकसान हो चुका है।

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पालिकाध्यक्ष ने कहा कि पूर्व में पालिका की ओर से कई बार शासन से इस बकाएदारी चुकाने के लिए शासन से बजट की मांग की जा चुकी है। बीते दिनों ही पालिकाध्यक्ष खुद बजट की मांग को लेकर शासन स्तर पर वार्ता कर चुके है, लेकिन कई बार मांगो के बावजूद शासन से बजट नहीं मिला।

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