यूसर्क द्वारा “हिमालय क्षेत्र में बर्फ, हिमनद एवम् हिमनद झीलों का अध्ययन (Snow, Glacier and Glaciel Lake Studies in Himalayan Region) विषय पर विषेशज्ञ व्याख्यान का आयोजन

Share this! (ख़बर साझा करें)

न्यूज़ डेस्क , देहरादून ( nainilive.com )- उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवम् अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा देव भूमि विज्ञान समिति के संयुक्त तत्वावधान में आज दिनांक 26 अप्रैल 2022 को वाटर एजुकेशन व्याख्यान श्रृंखला के अंतर्गत ” हिमालय क्षेत्र में बर्फ, हिमनद एवम् हिमनद झीलों का अध्ययन (Snow, Glacier and Glaciel Lake Studies in Himalayan Region)” विषय पर ऑनलाइन माध्यम से आयोजन किया गया।


कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क की निदेशक प्रो. (डॉ.) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल स्रोतों के महत्व को देखते हुए विगत वर्ष आयोजित विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम की विशेषज्ञ संस्तुतियों के क्रम में जुलाई 2021 से प्रतिमाह वाटर एजुकेशन लेक्चर सीरीज कार्यक्रम को आयोजित किया जा रहा है। इसी क्रम में आज का व्याख्यान राज्य के विद्यार्थियों के लिए यूसर्क द्वारा आयोजित किया जा रहा। यूसर्क द्वारा राज्य के जल स्रोतों का वैज्ञानिक अध्ययन, जन जागरूकता सबंधी कार्यों को संपादित किया जा रहा है।

Ad

कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम संयोजक डॉ भवतोष शर्मा ने कहा कि भारतीय हिमालयी क्षेत्र के ग्लेशियर एवम् उनसे बनने वाली झीलों का अध्ययन बहुत महत्व पूर्ण है। इन सभी का आधारभूत ज्ञान होने के साथ साथ इनके संरक्षण हेतु सभी के प्रयास आवश्यक हैं।

यह भी पढ़ें 👉  स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती देने की दिशा में बड़ा कदम, मिशन निदेशक स्वाति भदौरिया ने की हल्द्वानी की तीन बड़ी परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ संजय जैन, वरिष्ठ वैज्ञानिक, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रूड़की ने “हिमालय क्षेत्र में बर्फ, हिमनद एवम् हिमनद झीलों का अध्ययन (Snow, Glacier and Glaciel Lake Studies in Himalayan Region) विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान के द्वारा ग्लेशियरों की वर्तमान एवम् पूर्व की स्थितियों, उनको संख्या, उन पर उपलब्ध बर्फ की मात्रा, गंगा बेसिन के ग्लेशियर, रिमोट सेंसिंग एवम् जी आई एस द्वारा अध्ययन आदि विषयों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने ग्लेशियरों के पिघलने, पर्वतीय भाग में ग्लेशियरों से बनने वाली झीलें, उनके फटने से होने वाले खतरे एवम् बचाव पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। केदारनाथ आपदा के कारणों को उन्होंने विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि अर्ली वार्निग सिस्टम के अलावा ग्लेशियरों की लगातार निगरानी, उनसे बनने वाले ग्लेशियर झीलों का लगातार अध्ययन व निगरानी, तकनीकी के अधिकतम प्रयोग आदि के द्वारा इस तरह की आपदा के कारण होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।

यह भी पढ़ें 👉  कुमाऊं आयुक्त दीपक रावत ने किया कमिश्नरी कार्यालय नैनीताल में पौधारोपण

धन्यवाद ज्ञापन डॉ ओम् प्रकाश नौटियाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्यरूप से डॉ मंजू सुंदरियाल, डॉ भवतोष शर्मा, डॉ राजेंद्र राणा, आईसीटी टीम के ओम् जोशी, उमेश चंद्र, राजदीप द्वारा सक्रिय प्रतिभाग किया गया।कार्यक्रम में 191 प्रतिभागियों द्वारा पंजीकरण के माध्यम से प्रतिभाग किया गया।

यह भी पढ़ें 👉  गुलदार द्वारा बलूटी गांव के मोरा तोक में एक बुजुर्ग महिला पर हमला कर ली जान , सांसद अजय भट्ट ने पीड़ित परिवार के घर पहुंच कर घटना पर की गहरी संवेदना व्यक्त
Ad Ad Ad Ad
नैनी लाइव (Naini Live) के साथ सोशल मीडिया में जुड़ कर नवीन ताज़ा समाचारों को प्राप्त करें। समाचार प्राप्त करने के लिए हमसे जुड़ें -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page