पर्यावरण दिवस स्पेशल: सबने मिलकर पर्यावरण को है बचाना

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हिमानी बोहरा, नैनीताल ( nainilive.com)-

“प्रकृति सबकी है जननी, जीवन जीने का है आधार।
वृक्ष काटकर और फैलाकर कचरा, न करें इसका अपमान।।
पर्यावरण को स्वच्छ बनाकर, मिलकर करें स्वच्छ भारत सपना साकार।
प्रदूषण के जाल से मुक्त कराकर, आओ पृथ्वी को बनाए खुशहाल”।।

प्रकृति के बिना मानव जीवन संभव नहीं है और ये बात सत प्रतिशत सत्य भी है। मानव जीवन पूरी तरह से प्रकृति पर आश्रित होता है। वायु, जल, खाद्य, जड़ी बूटियों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है और ये सभी चीजें हमें प्रकृति से ही प्राप्त होते है। पेड़ पौधे, जंगल , जमीन, पहाड़ ये सभी जीवन के लिए बहुमूल्य है। पर्यावरण संरक्षित जीवन सुरक्षित, वृक्ष लगाओ पर्यावरण बचाओ जैसे जागरूकता सन्देश देने के लिए ही हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

बता दें कि विश्व पर्यावरण दिवस की नींव 1972 में स्वीडन कि राजधानी स्टॉकहोम में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में रखी गई थी। पहली बार इस सम्मेलन में दुनिया भर के 119 देश शामिल हुए थे और 5 जून 1974 को विश्व का पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया। पर्यावरण को सुधारने हेतु यह दिवस महत्वपूर्ण है जिसमें पूरा विश्व रास्ते में खड़ी चुनौतियों को हल करने का रास्ता निकालता हैं। लोगों में पर्यावरण जागरूकता को जगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा संचालित विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया का सबसे बड़ा वार्षिक आयोजन है। इसका मुख्य उद्देश्य हमारी प्रकृति की रक्षा के लिए जागरूकता बढ़ाना और दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों को देखना है।

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2020 की पर्यावरण दिवस की थीम

5 जून 2020 विश्व पर्यावरण दिवस की थीम जैव विविधता उत्सव रखी गई है। इसके द्वारा पूरे विश्व में यह सन्देश दिया जा रहा है कि जैव विविधता संरक्षण और प्राकृतिक संतुलन होना मानव जीवन के लिए अत्यन्त आवश्यक है। जैव विविधता दो शब्दों से मिलकर बना है जैव और विविधता। जैव विविधता का अर्थ जीव जंतुओं, वनस्पतियों की विभिन्न प्रजातियों से है जिन पर वर्तमान समय में खतरा मंडरा रहा है।

कोरोना काल में पर्यावरण पर प्रभाव

कोरोना काल में जब पूरे देश में दो महीने से ज्यादा समय से लॉकडॉउन चल रहा है जिसके चलते अभी लोग अपने अपने घरों में बन्द है। सभी गतिविधियां धीरे धीरे कई नियमों के साथ चालू हो रही है तो इसी बीच पर्यावरण पर सकारात्मक असर देखने को मिला है। इस दौरान प्रदूषण में काफी हद तक नियंत्रण देखा गया है।

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जल प्रदूषण में हुआ काफी हद तक नियंत्रण

लॉकडाउन से पहले नदियों का जलस्तर काफी हद तक प्रदूषित था जिन्हें स्वच्छ बनाने के लिए सरकार द्वारा कई अभियान चलाएं जाते थे और गंगा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही थी, लॉक डाउन के बाद इसके प्रदूषण में लगभग 50 प्रतिशत तक कमी अाई है और इसी बीच गंगा नदी में बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड में काफी गिरावट आती है और ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ गई है। वहीं, यमुना के जलस्तर में भी लगभग 33 प्रतिशत तक प्रदूषण में कमी अाई है। लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियां के खुले ना होने के कारण अन्य नदियों के जलस्तर में भी प्रदूषण की कमी देखी गई है।

वहीं, दूसरी तरफ शहरों की बात करे तो लॉक डाउन में सभी शहरों में शहरों की स्थिति में भी काफी हद तक सुधार देखने को मिला। गाड़ियों की आवाजाही ना होने के कारण , कारखानों और काम काज के बन्द होने के कारण पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला। दिल्ली एनसीआर देश का सबसे प्रदूषित शहर माना जाता है वहां के आनंद विहार स्टेशन पर साल 2018,2019 में पी एम 2.5 का स्तर तीन सौ से उपर था तो वहीं लॉक डाउन के दौरान यह स्तर गिर कर लगभग 101 पर पहुंच गया है।

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लॉक डाउन के कारण इस बार लोगों ने अपने घरों में ही रहकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। कई लोगों ने अपने घरों के आस पास वृक्ष लगाए और कई लोगों ने घर में रहकर ही पर्यावरण की सुरक्षा का संकल्प लिया।

” सबने मिलकर है ठाना, पर्यावरण को खुशहाल बनाना।
वृक्ष लगाकर जंगल बचाकर, हरियाली लाना।।
कूड़ा कचरा न फैलाकर, पृथ्वी को स्वच्छ बनाना।
जल का संचय कर, जल ही जीवन है सबको बतलाना।।
सबने मिलकर है ठाना, पर्यावरण को खुशहाल बनाना”।।

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