अफगानिस्तान पर मंडराया तालिबान का काला बादल, क्या अब अफगानी सिनेमा को लगेगी तालिबानी जंक?
तालिबान और अफगानिस्तान का मुद्दा आज कल पूरे सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है. क्योंकि अब धीरे-धीरे अफगानिस्तान पर तालिबान अपना कबजा जमाने में लगा हुआ है. जिसकी खौफनाक तस्वीरें भी आए दिन सामने आ रही है. और पूरे दुनिया अफगानिस्तान के निवासियों की रक्षा, सुरक्षा और उनके हक के लिए ईश्वर से प्राथर्ना कर रही है. दरअसल तालिबान अपनी इस्लामी सोच और महिलाओं पर अत्याचार करने के लिए काफी जाना जाता है. आलम यह है कि उनके कानून में फिल्मों और संगीत पर भी पूर्ण रूप से रोक लगाई गई है. जिसके बाद अब सोचने वाली बात यह है कि आखिर ऐसे में अफगानिस्तान के सिनेमा जगत का अब क्या होगा?
गौरतलब है कि राजनीतिक कारणों के चलते अफगानिस्तान के सिनेमा के विकास की गाति में काफी कमी आई है. जबकि एक साल 2001 में अफगान सिनेमा ने नए सोच के साथ फिल्मी दुनिया में अपना कदम बढ़ाया और साल दर साल फिल्म जग में महिलाओं की भागेदारी बढ़ती चली गई थी.
आपको बता दे कि अफगान सिनेमा में कई ऐसी फिल्मे है. जिन्होनें अपनी एक अलग ही पहचान बनाई है. इतना ही नहीं बल्कि अभिनेत्री जैसे लीना आलम, अमीना जाफरी, सबा सहर और मरीना गुलबहारी ने सिनेमा जगत में काफी नाम कमाया है और अपनी एक अलग छवी बनाई. लेकिन 2011 में बनी मोहसिन मखमलबाफ की फिल्म ‘कंधार’ ने सबका ध्यान अफगानिस्तान की ओर खींचा। ये अफगानिस्तान की पहली ऐसी मूवी थी जो कि कान फिल्म समारोह में नामांकित की गई थी…जबकि वर्ष 2012 में बनी ‘बुजकाशी बॉयज’ को ऑस्कर के लिए नामांकित किया गया।