आखिर क्यों पर्यावरणविद अजय रावत को कहना पड़ा ?? जाने क्या कहा उन्होंने

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नैनीताल ( nainilive.com )- सूखाताल झील क्षेत्र में बीते दिनों जिला विकास प्राधिकरण द्वारा चिन्हित किये गए अवैध आवासों की ध्वस्तीकरण की कार्यवाही से क्षेत्र के निवासियों में डर का माहोल बना हुआ है, प्राधिकरण द्वारा दिनाक 5 मार्च से ध्वस्तीकरण की कार्यवाही किये जाने सम्बन्धी पत्र ने क्षेत्र की निवासियों की दिन रात की नींद उड़ा दी है। वहीँ नैनीताल को बच्चन की मुहीम को लेकर हरसमय प्रयासरत रहने वाले प्रसिद्द पर्यावरणविद अजय रावत भी प्रशाशन की इस कार्यवाही और हर मुद्दे पर उनके नाम को लेकर पत्र जारी करने को लेकर खासे आहत दिखे। प्रेस को जारी एक बयां में उन्होंने साफ़ साफ़ कहा की हर ध्वस्तीकरण की कार्यवाही में उनके नाम को लेकर ही पत्र जारी किया जाता है, जबकि 14 अन्य याचिकाएं उनकी याचिका के साथ जुडी हैं , जो की अन्य के द्वारा दायर की गयी हैं. नीचे प्रोफेसर रावत द्वारा जारी बयान को हम शब्दसः प्रकाशित कर रहे हैं , जाने क्या कहा उन्होंने ?

नैनीताल को इको सेंसेटिव जोन बनाने तथा सूखाताल झील क्षेत्र जो कि नैनीताल झील को जल प्रदान करने का मुख्य स्रोत है, को रिचार्ज करने के लिए एक जनहित याचिका सन 2012 में प्रोफेसर अजय रावत द्वारा दाखिल की गई थी। इस याचिका के साथ 14 अन्य याचिकाएं भी माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निस्तारित की गई हैं लेकिन किसी भी कार्यवाही में प्रोफेसर रावत की याचिका का ही जिक्र किया जाता है, जो कि व्यक्तिगत रूप से नैनीताल के संरक्षण के लिए प्रयासों को आहत करता है। वर्तमान में जिला विकास प्राधिकरण डीडीए और नगर पालिका के द्वारा सूखाताल के क्षेत्र में कतिपय भवनों के मालिकों को ध्वस्तीकरण संबंधी नोटिस दिया गया है । जबकि झील के तल क्षेत्र अथवा महत्वपूर्ण डूब क्षेत्र में अवैध रूप से निर्माण किए गए रसूखदार लोगों के भवनों को हटाए जाने की आवश्यकता है,इन अवैध रूप से निर्माण किए गए रसूखदार लोगों भवनों के कारण ही झील में बरसात में भरने वाले पानी को बाहर निकाल दिया जाता है जिससे सूखा ताल झील में जल भर ही नहीं पाता ।यह महत्वपूर्ण है कि लेकबेड विशेषकर झील के तल क्षेत्र पर के भवनों के निर्माण किए जाने से वर्षा काल में सूखा ताल में जल नहीं भर पाता है और जिसके कारण नैनीताल झील में वर्ष पर्यंत पानी की कमी रहती है जिससे कि नगर वासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
झील के डूब क्षेत्र में आने वाले भवनों को हटाकर ही वास्तविक रूप से सूखा ताल झील का संरक्षण किया जा सकता है इससे ना सिर्फ नैनीताल नगर को जल की अबाध आपूर्ति हो सकती है साथ ही सूखाताल क्षेत्र को एक पर्यटक क्षेत्र के में भी विकसित किया जा सकता है अभी पिछले दिनों एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है, जिसमें कहा गया है कि देश के पर्वतीय पर्यटक स्थलों जैसे कि मसूरी, शिमला, दार्जिलिंग, इत्यादि में तेजी से पानी समाप्त होते जा रहा है, यदि सूखाताल क्षेत्र का संरक्षण नहीं किया गया तो नैनीताल भी जल्द ही पानी से वंचित हो जाएगा और जिसका दुष्प्रभाव यहां के पर्यटक व्यवसाय पर पड़ेगा।

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