दिल्ली पुलिस के समर्थन में उतरीं किरण बेदी, कमिश्नर को दी ये सीख
नई दिल्ली (nainilive.com)- राष्ट्रीय राजधानी में दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद सोमवार को प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मी लगातार ‘पुलिस कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो’ के नारे लगा रहे हैं. ऐसे में पुडुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने पुलिस के आधा अधिकारियों को सबसे पहले अपने जवानों को सुरक्षित करने की सलाह दी है. किरण बेदी ने हजारों पुलिसकर्मियों के 11 घंटे लंबे चले विरोध प्रदर्शन के बाद लिखा, जब एक पुलिसकर्मी निडर होकर पूरी ईमानदारी के साथ अपनी ड्यूटी करता है तो उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारियों के संरक्षण की बहुत जरूरत होती है.
किरण बेदी ने यहां सवाल उठाते हुए कहा कि क्या पुलिस का नेतृत्व इस पूरी घटना से कोई सबक सीखने को तैयार है. ऐसे मौकों पर नेतृत्व की परीक्षा होती है. उन्होंने कहा कि इस वक्त पुलिस के आला अधिकारियों को ठीक वैसे ही अपने स्टैंड पर मजबूती से खड़े रहना चाहिए, जैसे मैं 1988 में पुलिसकर्मियों के साथ खड़ी रही थी. तब तो हमारे पास वायरल वीडियो जैसे सबूत भी नहीं थे. आजकल तकनीक खुद गवाही देती है और सबूत उपलब्ध कराती है. इस तरह की घटनाएं सभी के लिए सबक लेने वाली होती हैं. लेकिन सवाल वही है कि क्या हम ऐसी घटनाओं से कुछ सीखने को तैयार भी हैं?
किरण बेदी 1988 में पुलिस उपायुक्त थीं. उस दौरान वकीलों और पुलिसकर्मियों के संघर्ष की एक घटना हुई थी, जिसकी आंच पूरे देश में पहुंची थी. दरअल, जनवरी, 1988 में पुलिस ने एक वकील को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था. तब पुलिस ने वकील को हथकड़ी पहनाई थीं. तीस हजारी कोर्ट के सभी वकील गिरफ्तारी के बाद तत्काल हड़ताल पर चले गए. उनका कहना था कि ऐसे मामलों में वकील को हथकड़ी नहीं लगाई जानी चाहिए थीं. इसके बाद ये हड़ताल बहुत तेजी से पूरे देश में फैल गई. इसके बाद दो हिंसक झड़पें हुईं.
1988 में हुई हिंसक झड़पों के बाद वकीलों ने आरोप लगाया कि किरण बेदी उनकी रक्षा करने में नाकाम रही हैं. उन्होंने कहा कि वकीलों पर हुए दो अलग हमलों में एक किरण बेदी ने किया और दूसरे के आदेश उन्होंने ही दिए थे. किरण बेदी ने दिल्ली पुलिस को अपने स्टैंड पर अड़े रहने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि 1988 की घटनाओं में मैं अपने स्टैंड पर मजबूती से खड़ी रही थी. वकील मांग कर रहे थे कि वकील को हथकड़ी लगाने वाले पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाए, लेकिन मैंने उनकी मांगों को खारिज कर दिया था.
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