शेयर बाजार में हाहाकार, ब्लैक मंडे, सेंसेक्स 1900, निफ्टी 550 प्वाइंट गिरकर बंद

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नई दिल्ली ( nainilive.com)- होली के एक दिन पहले सप्ताह के पहले दिन शेयर बाजार ने ब्लैक मंडे और निवेशकों की काली होली मना दी. सेंसेक्स 1900 और निफ्टी 550 प्वाइंट गिरकर बंद हुआ. इसे पिछले 10 साल की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है. अर्थशास्त्रियों की माने तो अर्थव्यवस्था इस समय जबर्दस्त मंदी के दौर में पहुंच चुकी है, जिसके उबरने में अब काफी वक्त लगेगा.

भारत और दुनिया के बाजारों के रुख को देखकर तो ऐसा लगता है कि 2020 की मंदी 2008 की वैश्विक मंदी से बड़ी हो गई है. इस साल अब तक 68 दिन में ही सेंसेक्स 6 बार 700 से ज्यादा अंक गिर चुका है. दो बार एक हजार से ज्यादा अंक की गिरावट हुई है. 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में छह बड़ी गिरावटें 10 महीनों में हुई थीं. तब सालभर में एक हजार से ज्यादा अंकों की दो ही गिरावट हुई थीं. सबसे ज्यादा 1408 प्वाइंट्स सेंसेक्स गिरा था.

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इस साल 28 फरवरी को 1448 अंक गिरा और आज सोमवार 9 मार्च को यह गिरावट 2300 अंकों को भी पार कर गई.

गौर करने वाली बात यह है कि 2008 की 6 में से पांच बड़ी गिरावटें जनवरी से मार्च महीने (54 दिन में) के बीच हुई थीं. इस साल अब तक की सभी बड़ी गिरावटें इन्हीं तीन महीनों (61 दिन में) हुई हैं.

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इस साल 6000 प्वाइंट्स तक गिर चुका है सेंसेक्स

इस साल एक जनवरी को सेंसेक्स 41,349 प्वाइंट्स पर खुला था. इस दिन 43 प्वाइंट गिरकर 41,306 प्वाइंट्स पर बंद हुआ था. 9 मार्च को यह 35,300 तक पहुंच गया. यानी इस साल 6000 प्वाइंट्स तक सेंसेक्स गिर चुका है, जबकि 2008 में 1 जनवरी को सेंसेक्स 20,325 प्वाइंट्स पर खुला था. साल के अंत 31 दिसंबर को 9,647 प्वाइंट्स पर बंद हुआ था. इस साल बाजार 10678 प्वाइंट्स गिरा था. यानी औसतन हर महीने 889 अंक बाजार गिरा था.

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इस साल बाजार औसतन बाजार 3000 प्वाइंट्स गिर रहा है. 2008 की वैश्विक मंदी के पीछे की वजह रियल स्टेट और फाइनेंशियल सेक्टर थे. अमेरिका के सबसे बड़ी रियल स्टेट कंपनियां लीमेन ब्रदर्स, फ्रेडी मैक, फेनी-मे दिवालिया हो गई थीं. इस साल सेंसेक्स की गिरावट के पीछे तीन बड़ी वजह अमेरिका और ईरान के बीच खाड़ी में पैदा हुआ तनाव, कोरोनावायरस, सऊदी अरब क्राउन प्रिंस और भारतीय बैंकिंग सिस्टम है.

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