किसानों के साथ सरकार कर रही है खिलवाड़: पूर्व दर्जा राज्यमंत्री गणेश उपाध्याय

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संतोष बोरा , नैनीताल ( nainilive.com )- किसान नेता और पूर्व दर्जा राज्यमंत्री डॉ गणेश उपाध्याय ने कहा है कि सरकार ने 14 फसलो के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में 4 से 5 फीसदी बढ़ोत्तरी कर किसानों की भावनाओं के साथ जबर्दस्त खिलवाड़ किया है। किसान की मेहनत ही है ,जिसके बल पर आज पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से लड़ने का प्रयास कर रहा है।

पूरे देश के लिए खाद्यान्न की व्यवस्था किसानों के गाढ़े खून पसीने की मेहनत का नतीजा है। वही किसानों की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में नाममात्र की बढ़ोत्तरी करना देश के अन्नदाता का अपमान है। केंद्र की मोदी सरकार को चाहिए, कि ऐसा कानून देश के अंदर लाए जो किसानों के घर से जो उत्पाद बेचते हैं ,वहीं से खरीदें और जो उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य मे खरीद करे ,या उससे अधिक मूल्य पर खरीद होनी चाहिए। नहीं तो उसके खिलाफ मुकद्दमा दर्ज होनी चाहिए ।क्योंकि पूरे देश के अंदर 1 एकड़ से लेकर 3 एकड़ के बीच 80% किसान खेती कर रहे हैं ऐसे छोटे किसान कहां और प्रदेशों में अपने उत्पाद बेच सकते हैं।

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उपाध्याय ने कहा कि मेरे द्वारा माननीय उच्च न्यायालय, उत्तराखंड के द्वारा सरकार को दिए गए निर्देशों का आज 2 साल बाद भी पालन नहीं किया गया है। जबकि माननीय उच्च न्यायालय ने 170 फसलों के 3 गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करने के निर्देश उत्तराखंड सरकार को दिए थे व किसान आयोग का गठन कर उत्तराखंड सरकार ने इतिश्री कर ली है । उत्तराखंड डबल बेंच में सरकार पर न्यायालय के निर्देशों का पालन ना करने पर अवमानना का केस चल रहा है।

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यथाशक्ति शीघ्र ही भारत सरकार के कृषि सचिव को भी माननीय उच्च न्यायालय से नोटिस भेजा जाएगा । लोक डाउन के चलते इसमें कुछ विलम्ब हो गया है। केन्द्र सरकार जब तक 170 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तीन गुना नहीं करेगी और उत्तराखंड के डबल बेंच के निर्णय के सापेक्ष कार्य नही करेगी तब तक हम उत्तराखंड के किसान शांत नहीं बैठेंगे, यह लड़ाई हम जीत कर पूरे देश में एक इतिहास रचेंगे।

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सरकार ने मात्र 14 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में जो वृद्धि की गई वह ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। जिससे आज प्रदेश में 13 किसान ने आत्महत्या कर चुके हैं, परन्तु सरकार के कान पर जूं तक नही रेंग रही है। , ‘प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करेंगे और स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करेंगे। लेकिन यही हालत रही तो अगले 10 साल में किसानों की आमदनी दोगुनी नहीं होगी’। सरकार ने किसान को एक बड़ा झटका दिया है. इस सरकार ने किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया है।

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