आर्थिक पैकेज 3.0: वित्त मंत्री ने किसानों के लिए किए बड़े एलान, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर
नई दिल्ली ( nainilive.com)- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार 15 मई को तीसरी किस्त का एलान किया. उन्होंने आज आर्थिक पैकेज में किसानों और ग्रामीण भारत के लिए दी गई राहतों के बारे में विस्तार से बताया. सरकार ने कृषि के आधारभूत ढांचे के लिए एक लाख करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया है.
वित्त मंत्री ने कहा कि आज कृषि के ऊपर ज्यादा बात करेंगे. किसानों के कल्याण के लिए विभिन्न योजनाओं के जरिए पिछले पांच से छह सालों से कदम उठाए जा रहे हैं. करोड़ों किसानों को इसके माध्यम से लाभ मिला है. पिछले दो महीनों में किसानों के लिए कई कदम उठाए गए हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए लगभग 74,300 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जो सीधे किसानों को मिले हैं. पीएम किसान योजना के अंतर्गत दो महीनों में 18,700 करोड़ रुपये किसानों के खातों में डाले गए हैं.
फसल बीमा योजना के माध्यम से जो क्लेम्स मिलने थे, वो 6,400 करोड़ रुपये के क्लेम किसानों को मिले हैं. लॉकडाउन के दौरान दूध की खपत 20 से 25 फीसदी कम हुई है. 5,000 करोड़ की अतिरिक्त लिक्विडिटी की मदद दो करोड़ किसानों को दी गई. दो फीसदी ब्याज अनुदान भी दिया गया.
घोषणाओं के प्रमुख बिंदु
– दो महीनों में 242 नई हैचरी को रजिस्ट्रेशन दी गई. एक्वाकल्चर और मरीन कैप्चरिंग के लिए जो राहत दी जानी थी, वो भी दे दी गई है. मत्स्य पालन को लेकर चार घोषणाएं जो हमने पहले की थी, उनको भी लागू कर दिया गया है.
– एक लाख करोड़ रुपये का कृषि आधारभूत ढांचा बनाने के लिए योजना लाई गई है. इससे किसानों की आय बढ़ेगी. भारत ना केवल अपनी मांग को पूरा कर सकेगा, बल्कि आने वाले समय में निर्यात के लिए भी मदद मिलेगी. एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव सोसाइटी, कृषि स्टार्टअप्स, आदि को इससे लाभ मिलेगा.
– असंगठित क्षेत्र के जो सूक्ष्म खाद्य संस्करण इकाइयां हैं, उनके लिए हम 10,000 करोड़ रुपये की योजना लेकर आए हैं. ये क्लस्टर बेस्ड अप्रोच होगी. इससे लगभग दो लाख इकाइयों को लाभ मिलेगा. रोजगार के अवसर मिलेंगे और आय बढ़ेगी. इनकी मार्केटिंग ब्रैंडिंग भी होगी और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन भी होगी.
– 20,000 करोड़ रुपये की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना लेकर आए हैं. इससे मछुआरों का विकास होगा. इसमें से 11,000 करोड़ रुपये समुद्री और अंतर-देशीय मत्स्य पालन के लिए मिलेगा. 9,000 करोड़ रुपये इसके आधारभूत ढांचे के विकास के लिए होगा. इससे अगले पांच वर्षों में 70 लाख टन का अतिरिक्त मछली उत्पादन होगा. 55 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. साथ ही एक लाख करोड़ रुपये का निर्यात होगा, जो लगभग दोगुना है.
– 53 करोड़ पशुओं के टीकाकरण की योजना हम लेकर आए हैं. इसके लिए लगभग 13,343 करोड़ रुपये खर्च होगा. हम इनको रोग मुक्त करेंगे. इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांग बढ़ेगी. पशुओं को अच्छा जीवन जीने का अवसर मिलेगा. साथ ही दूध उत्पादन में बढ़ोतरी होगी.
– पशु पालन सेक्टर में आधारभूत ढांचे के लिए विकास फंड बनाया गया है. इसके लिए 15,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है. ताकि जो दूध उत्पादन होता है, उसकी प्रोसेसिंग करने के लिए इंडस्ट्री लग सके. इससे निर्यात के भी अवसर मिलेंगे.
– हर्बल कल्टीवेशन ( herbal cultivation ) की प्रमोशन के लिए लगभग 4,000 करोड़ रुपये का प्रावधान इस प्रोजेक्ट के माध्यम से किया जाएगा. 10 लाख हेक्टेयर जमीन में इसकी खेती होगी. इससे 5,000 करोड़ रुपये की आय किसानों की होगी. गंगा किनारे भी ऐसे हजारों एकड़ में प्लांटेशन की ड्राइव चलाई जाएगी.
– मधुमक्खी पालन ( bee keeping ) के लिए 500 करोड़ की योजना लेकर आए हैं. इससे दो लाख मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि होगी और उपभोक्ताओं को बेहतर शहद मिलेगा. ग्रामीण क्षेत्र के लिए यह आय का अतिरिक्त साधन होगा. लोकल से ग्लोबल की दिशा में यह बड़ा कदम होगा.
– टॉप-टू-टोटल योजना में 500 करोड़ का प्रावधान किया गया है. यह पहले टमाटर, प्याज, आलू के लिए था. ऑपरेशन ग्रीन का विस्तार टमाटर, प्याज और आलू के अलावा बाकी सभी फल और सब्जियों के लिए भी किया जाएगा. इसको संकट की घड़ी में पायलट योजना के रूप में देखा जाएगा और इसको आगे बढ़ाया भी जा सकता है. इसमें 50 फीसदी सब्स्डी मालभाड़े पर दी जाएगी और 50 फीसदी स्ब्सिडी स्टोरेज के लिए होगी. इसमें कोल्ड स्टोरेज भी शामिल है.
– आवश्यक वस्तुओं के लिए जो कानून 1955 में बनाया गया था, उसमें बदलाव किया जा रहा है. इससे किसानों की आय में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ेगी. आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया जाएगा. तिलहन, दलहन, आलू आदि जैसे प्रॉडक्ट्स को इसमें डि-रेग्युलेट किया जाएगा, जिससे किसानों को लाभ मिल सके. कृषि क्षेत्र के लिए जो भी कानूनी व्यवस्था करनी पड़ेगी वो करेंगे. किसानों को उचित मूल्य मिले, इसके लिए यह बड़ा कदम होगा.
– किसानों की निश्चित आय, जोखिम रहित खेती और गुणवत्ता के मानकीकरण के लिए एक कानून बनाया जाएगा. इससे किसानों का उत्पीडऩ रोका जाएगा और किसानों के जीवन में सुधार आएगा. वो निर्यातकों और बड़े कारोबारियों के साथ काम कर सकेंगे.
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