यादों के झरोखों में नैनीताल गोल्फ की वो एक पहाड़ी

यादों के झरोखों में नैनीताल गोल्फ की वो एक पहाड़ी

यादों के झरोखों में नैनीताल गोल्फ की वो एक पहाड़ी

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बबलु चन्द्रा, नैनीताल (nainilive.com )- गोल्फ खेलते खेलते बचपन इन रेतीली चट्टानों से रेत की तरह फिसल गया । ये वो जगह है जहाँ बहुत साल पहले 15 नवम्बर 99 को शायद 2001 मे एक बहुत बड़ी दुखद दुर्घटना हुई थी नैनीताल क्लिप्स की चोटी से चार दोस्त फिसलते हुए यहाँ गिर गए थे.

प्रकाश टम्टा , अमित कुमार, बालम सिंह बिष्ट,  ने कुछ नाम मुझे याद नही , उन्होंने यहाँ से उन्हें निकाला पर अफसोस दो को ही वो इन रेतीली चट्टानी पहाड़ियों से बचा कर निकाल पाए थे जिसके लिए उन्हें उसी वर्ष राष्ट्रपति रक्षा पुरस्कार मिला था, क्योंकि आज भी इस खाई मे जाना खुद की जान जोखिम मे डालना है.  खुद की जान की बाजी लगाते हुए अपनी परवाह न करते हुए उन्होंने छात्रों की जान बचाई थी. जबकि हाल के वर्ष मे एक मानव कंकाल मिलने के दौरान मैं यहाँ गया था पर उस समय सुंदर झरना यहाँ नहीं था. हिमालय पुत्र का वो लाल पर्वत भी अब रेत मे यही कही समा गया। कोई मिल गया का हैलीपैड सुरक्षित तो है पर चैन की सांस शायद इसी वर्ष ले रहा है है. क्योंकि इन रेतीली पहाड़ियों मे हरियाली कम ही दिखती थी। देखने-दिखाने वाले झील तक ही सिमट गए  किस्से कहानियों वाली लेह जैसी पहाड़ियाँ गुमनाम रह गई।

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