राज्यसभा से पास हुआ सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक, फिल्म इंडस्ट्री में पायरेसी पर लगेगी रोक

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नई दिल्ली – फिल्म इंडस्ट्री की मदद के लिए फिल्मों की पायरेसी पर रोक लगाने के लिए और लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाने वाला संशोधन विधेयक आज गुरुवार को राज्यसभा से पारित हो गया है। सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 में संशोधन करने वाला विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ है। अब इस बिल के जरिए फिल्मों की पायरेसी पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। विधेयक में सरकार ने फिल्मों की पायरेटेड कॉपी बनाने वाले व्यक्तियों के लिए अधिकतम तीन साल की जेल की सजा और फिल्म की उत्पादन लागत का पांच प्रतिशत जुर्माना वसूलने का प्रस्ताव रखा है।

सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक-2023 में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को 10 साल की वैधता अवधि को खत्म करके स्थायी वैधता वाली फिल्मों को प्रमाणपत्र देने की अनुमति देने का भी प्रस्ताव है। विधेयक में ‘यूए’ श्रेणी के तहत तीन आयु-आधारित प्रमाणपत्र पेश करने का प्रावधान है यानी ‘यूए 7+’, ‘यूए 13+’ और ‘यूए 16+’ और सीबीएफसी को टेलीविजन या अन्य मीडिया पर अपनी प्रदर्शनी के लिए एक अलग प्रमाणपत्र के साथ फिल्म को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है।

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फिल्म चोरी यानी पायरेसी पर रोक लगाने के लिए विधेयक में सिनेमैटोग्राफ अधिनियम में नई धाराएं शामिल करने का प्रस्ताव पेश किया गया है, जिसमें फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग (धारा 6एए) और उनकी प्रदर्शनी (धारा 6एबी) पर रोक लगाने का प्रावधान है। बिल में कड़ा नया प्रावधान 6AA के तहत एक ही डिवाइस में रिकॉर्डिंग का उपयोग करने के उद्देश्य से किसी फिल्म या उसके किसी हिस्से की रिकॉर्डिंग पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।

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कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि पायरेसी भारत के अलावा दुनियाभर में कलाकारों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। अच्छा कंटेंट बनाने के लिए बहुत बड़ी टीम लगती है। दुर्भाग्य से कई बार पायरेसी के चलते उनकी मेहनत पर पानी फिर जाता था। फिल्म इंडस्ट्री को इससे करोड़ों का नुकसान होता है। पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को होने वाले 20,000 करोड़ रुपये के नुकसान को समाप्त करने के लिए सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक लाया गया है।

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