दसवीं फेल 3 युवकों ने 20 देशों के 1000 पीएच-डी छात्रों को ठगा

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गाजियाबाद (nainilive.com) –  दसवीं फेल 3 युवक एक कमरे में बैठकर ठगी का बड़ा नेटवर्क चला रहे थे. तीनों आरोपी व इनके साथी खुद को प्रोफेसर बताकर भारत ही नहीं, बल्कि दूसरे देशों के भी पीएच-डी(डॉक्टर ऑफ़ फिलॉसफी ) छात्रों को चूना लगा रहे थे. मसूरी पुलिस ने मुखबिर की सूचना के बाद तीन आरोपियों को डासना के शक्ति नगर से गिरफ्तार किया. पुलिस ने इनके पास से दो लैपटॉप, 11 एटीएम, कुछ पासबुक व अन्य सामान बरामद किए हैं.

गिरोह के अन्य साथियों की तलाश की जा रही है. 350 से अधिक ट्रांजैक्शन विदेशों से थाना प्रभारी नरेश सिंह ने बताया कि हमें सूचना मिली थी कि डासना के शक्ति नगर के एक कमरे में कुछ युवक अपने घर से कंप्यूटर के माध्यम से कुछ गलत काम कर रहे हैं. इसके बाद टीम ने मौके पर जाकर छापेमारी की. वहां कमरे में पुनीत कुमार, चंद्रशेखर और परवेज नाम के तीन युवक मिले.

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ये तीनों डासना के ही रहने वाले हैं. इनसे पूछताछ की गई तो पता चला कि ये लोग यहां से बैठकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नार्वे, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, मलेशिया, पाकिस्तान समेत कई अन्य देशों के पीएचडी स्टूडेंट्स (शोधकर्ताओं) को उनके शोध इंटरनेशनल जनरल में छपवाने का झांसा देकर ठगते थे. छात्रों को झांसा देने के लिए इन्होंने एक वेबसाइट बना रखी थी.

इसी के माध्यम से स्टूडेंट्स इनसे संपर्क करते थे. उन्होंने बताया कि अकेले पुनीत की दो पासबुक में 350 ट्रांजैक्शन विदेशों से हुई है. गैंग अभी तक हजारों लोगों से 2 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुका है. बार-बार बदलता है अपनी क्वॉलिफिकेशन नरेश सिंह के अनुसार पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये लोग समय-समय पर नई वेबसाइट बनाकर स्टूडेंट्स को फंसाते थे.

मौजूदा समय में गिरोह इंटरनेशनल जरनल ऑफ हिस्ट्री एंड साइंटिफिक स्टडीज रिसर्च www.ijhss.orgके नाम से एक वेबसाइट चला रहा था. इसमें गिरोह के सरगना पुनीत ने खुद को एडिटर-इन-चीफ डिपार्टमेंट ऑफ केमिस्ट्री संजय गांधी स्मृति कॉलेज मध्यप्रदेश बता रखा है.

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पुनीत ने बताया है कि वे लोग एक रिसर्च पब्लिश करवाने के नाम पर 50 से 100 डॉलर तक लेते थे. कई छात्रों से रुपये लेने के बाद वह वेबसाइट बंद कर नई वेबसाइट तैयार करते थे. कंप्यूटर की है अच्छी जानकारी पुनीत ने पूछताछ में बताया कि वह और उसके साथी 10वीं फेल हैं. उसने 10वीं का फॉर्म भर रखा है.

उसने बताया कि कंप्यूटर की अच्छी जानकारी होने के कारण वह पूर्व में एक जनरल के ऑफिस में काम कर चुका है. वहां उसने काफी कुछ सीखा था. इसके बाद उसने नौकरी छोड़ी और अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी जनरल वेबसाइट बना ठगी का काम शुरू किया. वेबसाइट बनाकर वह खुद को कभी एमबीए, कभी एमडी तो पीएच-डी केमिस्ट्री बताता था.

गिरोह अपने जनरल का एफीएशन अलग-अलग यूनिवर्सिटी व संस्थानों से दिखाते थे, जो फर्जी होते थे. इसलिए आसानी से झांसे में आ रहे थे पीएचडी छात्र इतनी बड़ी संख्या में और आसानी से छात्रों के जालसाजी के शिकार होने को लेकर शंभू दयाल डिग्री कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. बी. एस. गोयल का कहना है कि पीएच-डी के वक्‍त शोध का इंटरनेशनल जोनल में प्रकाशित होना बड़ी बात होती है.

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इससे प्रोफाइल भारी बनता है जो भविष्य में जॉब और प्रमोशन में फायदा पहुंचाता है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर इंटरनेशनल जनरल में एक शोध पब्लिश करवाने में छात्रों को छह महीने से एक साल तक का समय लग जाता है.

इसी कारण अक्सर छात्र झांसे में आकर रुपये देकर अपने शोध पब्लिश करवाने को तैयार हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह की ठगी से बचने के लिए जरूरी है कि छात्र सारी चीजें वेरिफाई करें. वेबसाइट जिस संस्थान से संबद्धता के दावे कर रही है, उस संस्थान की वेबसाइट पर जाकर चेक करें.

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