चन्द्रयान 2 का लैंडर विक्रम की लैंडिंग सेफ थी ? विक्रम की नई खोज से आया मोड़

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न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- भारतीय मिशन चन्द्रयान 2 के विक्रम लैंडर की खोज में एक नया मोड़ आ गया है। ये खोज शानमुगा सुब्रमण्यन ने की है। इस खोज से पता चलता है कि सम्भवतः चांद पर चंद्रयान-2 का रोवर प्रज्ञान सही-सलामत लैंड कर गया था।


चंद्रयान-2 विकर्म की शॉफ्ट लैंडिंग अंधेरे स्थान पर हुई थी, जो तय समय के मुताबिक चांद की सतह पर लैंड नहीं कर सका जिस कारण उसका संपर्क टूट गया। नासा की तस्वीरों को देखकर चेन्नै के इंजिनियर शानमुगा सिब्रमण्यन ने लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर खोज लिया। उन तस्वीरों में जो दिखा उसे विक्रम का मलबा माना गया। हालांकि, एलआरओ की ताजा तस्वीरों में शान ने ही फिर पता लगाया है कि भले ही विक्रम की लैंडिंग मनमाफिक न हुई हो, मुमकिन है कि चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान ने एकदम सही-सलामत चांद की सतह पर कदम रखा था। अक्टूबर और 11 नवंबर को ली गईं तस्वीरों में लैंडिंग साइट पर जो निशान मिले, माना जा रहा था कि वे उस मलबे के ही थे। इस साल 4 जनवरी को ली गईं तस्वीरों को जब शान ने स्टडी किया तो उसमें कुछ अलग दिखाई दिया। इस बार विक्रम से कुछ दूर पर कुछ और भी दिखा जो पहले से अलग था। शान का मानना है कि यह विक्रम के अंदर मौजूद रोवर प्रज्ञान था। उस क्षेत्र में मलबे के अलावा यह तस्वीर पहली बार देखी गई है।

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दरअसल, विक्रम जहां लैंड करने वाला था वह चांद का ऐसा हिस्सा है जहां रोशनी बेहद कम होती है। इससे पहले उस क्षेत्र की तस्वीरें LRO ने जब लीं तो रोशनी कम होने और सूरज के अलग ऐंगल की वजह से रोवर दिखाई नहीं दिया। शान का कहना है कि इस बार चांद के हिस्से पर रोशनी पहले से ज्यादा थी और अलग ऐंगल पर यह रोशनी रोवर पर टकराई और इसी रिफ्लेक्शन की वजह से इस बार वह देखा जा सका। शान ने इसकी जानकारी ISRO और NASA को दी है और उनकी पुष्टि का इंतजार किया जा रहा है।

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चंद्रयान-2 अपने साथ कुल 13 पेलोड लेकर गया था जिनमें से 3 लैंडर पर और 2 रोवर पर थे। शान का कहना है कि पहले NASA को और उनको जो मलबा दिखा था, मुमकिन है कि वह इसी पेलोड का हो। शान बताते हैं कि उन्हें जो मलबा दिखा था वह Langmuir प्रोब का हो सकता है। वहीं, NASA को जो मलबा दिखा था वह लैंडर में लगे ऐंटेना, दूसरे पेलोड, रेट्रो ब्रेकिंग इंजिन या सोलर पैनल का हो सकता है।

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खास बात यह है कि चांद की सतह पर विक्रम की रफ लैंडिंग हुई थी, क्रैश लैंडिंग नहीं। यानी कि ऐसी संभावना है कि लैंडर भले ही बुरी तरह सतह पर लैंड हुआ हो और उसके कम्यूनिकेशन बंद हो गए लेकिन रोवर प्रज्ञान उसके अंदर सुरक्षित रहा। बाद में पहले से प्रोग्राम किए गए तरीके के मुताबिक ही वह विक्रम से बाहर निकला और कुछ दूर तक गया। शान का कहना है कि सतह पर टक्कर की वजह से रोवर के लैंडर से बाहर फेंके जाने की संभावना कम है। मुमकिन है कि रोवर सही तरीके से लैंडर से बाहर निकला था। ऐसा इसलिए है क्योंकि तस्वीरों में लैंडर और रोवर के बीच ट्रैक देखा जा सकता है। अगर रोवर टक्कर खाकर बाहर गिरा होता, तो ऐसा ट्रैक बनने की संभावना कम थी। हालांकि, शान का कहना है कि इस बात की पुष्टि Nनासा या इसरो ही कर सकता है।

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