कुमाऊं विश्वविद्यालय के डॉ महेंन्द्र राणा ने सुदूर अरुणाचल प्रदेश में हर्बल सिरप, टेबलेट एवं कैप्सूल बनाने के उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिया प्रशिक्षण

कुमाऊं विश्वविद्यालय के डॉ महेंन्द्र राणा ने सुदूर अरुणाचल प्रदेश में हर्बल सिरप, टेबलेट एवं कैप्सूल बनाने के उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिया प्रशिक्षण

कुमाऊं विश्वविद्यालय के डॉ महेंन्द्र राणा ने सुदूर अरुणाचल प्रदेश में हर्बल सिरप, टेबलेट एवं कैप्सूल बनाने के उद्यमिता विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिया प्रशिक्षण

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न्यूज़ डेस्क , नैनीताल ( nainilive.com )- डाक्टर महेंद्र राणा, सहायक प्राध्यपक, भेषज विज्ञान विभाग, सर जे सी बोस तकनीकी परिसर, कुमाऊं विश्वविद्यालय को सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु एनआईटी अरुणाचल प्रदेश में विषय विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किया गया था।

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यह कार्यक्रम क्षेत्र के काश्तकारों छात्रों एवं विभिन्न जनजातीय समूह के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने के लिए दिनांक 21 से 28 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में पूर्वोत्तर राज्यों के अनेक प्रतिभागियों ने आकर प्रशिक्षण प्राप्त किया दिनांक 22, 23, 24 सर 25 फरवरी को हर्बल सिरप, टेबलेट, कैप्सूल एवं हर्बल सैनिटाइजर बनाने की प्रशिक्षण दिया गया।

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डॉ महेंद्र राणा द्वारा समस्त प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले लोगों के बीच इन विधाओं के ज्ञान को सरल भाषा में आम जन तक पहुंचाने के काम किया, तदोपरांत व्याख्यान में दिए गए ज्ञान को प्रयोगशाला में विस्तार में ट्रेनिंग देते हुए बारीकियों को समझाया।

इस दौरान विभिन्न प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को स्वयं कैप्सूल बनाने की विधि टेबलेट बनाने की विधि, सीरप बनाने की विधि और सैनिटाइजर बनाने की विधि में पारंगत बनाने का कार्य सुनिश्चित किया।

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यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अरुणाचल प्रदेश के एनआईटी संस्थान द्वारा भारत सरकार के अंतर्गत डीएसटी से संचालित नेक्टर प्रोग्राम के तहत किया गया। प्रोग्राम की संयोजक डॉ पल्लवी कलिता हुयी द्वारा इस महत्वपूर्ण विषय को जनसामान्य तक पहुंचाने के लिए कार्यक्रम की रूपरेखा तय की गई। इस तरह के कार्यक्रम पहाड़ी राज्यों में रोजगार के नए संसाधनों को स्थानीय निवासियों तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण कड़ी का कार्य करते है।

डॉक्टर राणा द्वारा बताया गया कि भारत की विविधता के मध्य समस्त हिमालयी राज्यों में बहुत सारी रतियां एवं संस्कृति में समानता पाई जा सकती है। उत्तराखंड और अरुणाचल के परिपेक्ष में दोनों ही राज्य में बहुत ही वृहद जैवविविधता उपलब्ध है।

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अरुणाचल प्रदेश में विगत 4 दिवसों में प्रशिक्षण देने के उपरांत डॉ राणा द्वारा का मानना है कि इस तरीके के कार्यक्रमों को राज्य सरकारों की मदद से समस्त पहाड़ी राज्यों में उद्यमिता विकास हेतु संचालित किया जाना चाहिए। जिससे एक तरफ यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार की संभावनाएं उपलब्ध होगी वही पलायन को रोकने में भी बहुत महत्वपूर्ण कार्य किया जा सकेगा। महामारी के दौरान बहुत सारे रोजगारों के चले जाने के बाद प्रवासी लोग वापस अपने मूल निवास के तरफ आये हैं और आज रोजगार की तलाश में पुनः कार्य करने हेतु तत्पर है। ऐसे समय में अपने मूल निवास के आसपास रोजगार के संसाधन उपलब्ध हो पाए तो उत्तराखंड राज्य से पलायन की समस्या को बहुत हद तक रोका जा सकता है।

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इस दौरान स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों के वैज्ञानिक दोहन से रोजगार के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं ऐसा डॉक्टर राणा का मनना है। अरुणाचल प्रदेश के अपने प्रवास के दौरान निदेशक एनआईटी प्रोफेसर महनता से हुई मुलाकात के दौरान कुमाऊं विश्वविद्यालय एवं एनआईटी अरुणाचल प्रदेश के मध्य शोध, छात्रों के आदान प्रदान कार्यक्रम एवं प्रसार कार्यक्रम संचालित किए जाने हेतु अनुबंध कराए जाने की चर्चा हुई।

एनआईटी अरुणाचल प्रदेश में इनक्यूबेशन केंद्र बनाने एवं एनआईटी अरुणाचल प्रदेश में अकादमिक योगदान हेतु डॉ महेंन्द्र राणा को आमंत्रित किए जाने हेतु कार्यक्रम संयोजक डॉ पलबी को निर्देशित किया।

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इस दौरान राजीव गांधी यूनिवर्सिटी के वनस्पति विज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ हुयी ताग से वार्ता के क्रम में दोनों विश्वविद्यालयों के बीच वैज्ञानिक आदान प्रदान किए जाने की संभावना में भी विस्तृत रूप से चर्चा हुई है। भविष्य में दोनों विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से कार्य करते हुए शोध एवं जन सामान्य के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित कर सकते हैं। शोध छात्रों के आदान-प्रदान से दोनों ही प्रदेशों की संस्कृति एवं यहां उपलब्ध वन संपदा एवं जड़ी बूटियों को वैज्ञानिक दोहन को कैसे जनसामान्य तक पहुंचाया जा सके इस पर भी चर्चा की गई।

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डाक्टर राणा ने बताया कि एनआईटी अरुणाचल प्रदेश द्वारा संचालित कार्यक्रम को अपार सफलता प्राप्त हुई। प्रतिभागियों के फीडबैक के आधार पर एनआईटी द्वारा वर्ष में यह कार्यक्रम चार बार संचालित करने का निर्णय लिया है। इस कार्यक्रम में आयुर्वेदिक कॉलेज गुवाहाटी के प्रधानाचार्य एवं प्रसिद्ध आयुर्वेदिक डॉक्टर प्रो बिष्णु प्रसाद शर्मा ने भी आयुर्वेदिक दवाओं एवं पूर्वोत्तर राज्यों में पादप औषधियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

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प्रक्षिषण प्राप्त करने वालों में डॉ एल आर भुईयां, वेदकांता महंता, मानवेंद्र कलिता, संजीव दास, हगेई यांका, आतेक नंगकर, संजीव नाथ, मोमंग तरम, रूबू रान्यो, गीता प्रधान, देवेंद्र, निहाल सुमन, समदिर माई, दीपक दास, ख्योदा राजन, अंजनी बेलाई सहित करीब तीस प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। डॉ महेंन्द्र राणा द्वारा इस कार्यक्रम में योगदान देने के लिए आमंत्रित करने के लिए निदेशक एनआईटी अरुणाचल प्रदेश, प्रशिक्षण संयोजक एवं समस्त प्रतिभागियों का आभार भी व्यक्त किया।

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