सौर मंडल का दूसरा सूर्य ( देवगुरू) दूसरा सबसे बड़ा खूबसूरत ग्रह शनि और चाँद का मिलन और एक रात का रोमांचक सफर
बबलू चंद्रा , नैनीताल ( nainilive.com )- आकाश को झांकने वाली संसार की सबसे पहली दूरबीन से गैलीलियो गैलीलेय ने 1609 मे चाँद तारो के दीदार किये,, चाँद को देखा उसकी सतह के खड्डों साथ उसके पहाड़ देखे। 1610 मे आकाश मे ब्रहस्पति ग्रह को देखा और उसके चार चांद देखे, ओर गले मे हीरे मोती जड़ित सबसे खूबसूरत शनि के दीदार किये।
महाभारत के भीष्मपर्व मे- भंग नक्षत्रमाक्रम्य सूर्यपुत्रेण पिड्यते।, सवंत्सरस्थायिनो च ग्रहो प्रज्वलितावुभौ, विशाखयाः समीपस्थो ब्रहस्पति शनैशंचरौ।।- ( पूर्वा फाल्गुनी को पकड़कर सूर्यपुत्र शनि उसे पीड़ित करेगा।। अत्यंत प्रकाशमान ब्रहस्पति व शनेशचर ग्रह विशाखा नक्षत्र के समीप वर्षभर रहेंगे, ओर ग्रहो की ये स्तिथिया अत्यंत अनिष्टकारी है)। जबकि तैर्तीय ब्राह्मण मे उल्लेख है- ब्रहस्पतिहः प्रथमः जायमानः, तिष्य नक्षत्रमभिसम्बभू-( जब ब्रहस्पति पहले प्रकट हुआ , तब तिष्य यानि पुष्य नक्षत्र के पास था। हमारी पौरणिक कथाओं के अनुसार के अनुसार शनि महाराज सूर्य के पुत्र है। पाश्चात्य ज्योतिषी मे शनि को सैटर्न कहते है। रोमन आख्यानों के अनुसार सैटर्न जुपिटर के पिता है। हमारे देश मे पुरानी देवकथाओ के मुताबिक ब्रहस्पति देवताओं के गुरू थे, इसलिए ब्रहस्पति को गुरु भी कहते है। रोमनवासियो ने इस ग्रह को यूनानियों का जीन देव कहा, युनानी व रोमन लोग जुपिटर को सबसे बड़ा देवता मानते थे। रोमन मे शनि को सैटर्न मतलब कृषि का देवता मानते थे, हमारे देश मे शनेचर मतलब धीरे चलने वाले को सनीचर बना दिया गया। मलतब कष्ठ देने वाला।
सनीचर नाम लेते ही धन्धविश्वशियो की रूह कांप जाती है ज्योतिषियों के मुताबिक जिस राशि मे ये हो तो साढ़े सात साल तक उसकी ऐसी की तैसी हो जाती है। पुराने जमाने के लोग ना ये बात मानने को तैयार थे ना ही दूरबीन से इन्हें देखने को तैयार थे।। पुराने जमाने के वे लोग सिर्फ आंख ओर कान के धनी थे जबकि गैलीलियो आंख कान के अलावा एक दूरबीन के भी धनी थे,, जिससे उन्होंने समझाया कि इन ग्रहों के भी उपग्रह चाँद है और आज हम जानते है कि देवगुरू जूपिटर के 18 चाँद और शनि के सबसे ज्यादा 31 चाँद है ओर अन्य की खोजबीन जारी है।
जुपिटर सोर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है हमारी पृथ्वी जैसे आकार के 1300 पिंड भी इसमे समा सकते है। जबकि गुरु का ग्यानिमेड सबसे बड़ा चाँद है दूसरा शनि का टाइटन। ओर ये बुध ग्रह से भी बड़े है।। ब्रहस्पति हमारे 12 वर्षो मे सूर्य का एक चक्कर पूरा करता है और अपनी धुरी का एक चक्कर 10 घण्टे मे पूरी करता है ज्यादा तेज वॉक करने के कारण अपने विषुवत क्षेत्र मे फूल गया है, हम घुमने से पतले होते है ओर इसकी तोंद निकल आयी ।और गुलाबी धब्बा इसकी एक विशेष पहचान है जिसे आज तक वैज्ञानिक समझने की कोशिश मे है जो 1665 मे खोज गया 40000 किमी लंबा है। वही शनि को अपने गले मे लगे खूबसूरत हीरे मोती की मालाओं को संभाले हुए बेहद मंद गति से सूर्य का चक्कर लगाने मे चक्कर लगाने मे 29 साल ओर 168 दिन लगते है।
ब्रह्मांड की प्रकृति ने इसे कई सारे रंग-बिरंगे मनोहर हार वरदान दिए है। इसके ये हार, वलय कंकड़ खगोल का एक अद्भुत चक्र है, ऐसा गौरव किसी ओर ग्रह को नहीं है।।। इसके चहुओर कम के कम तीन वलय हैं जिनका व्यास 2,70000 किमी है। मोटाई 100 मिटर। इन वलयो का प्रत्येक कण अपने आप मे एक लघुग्रह है। शनि के इन अरबों लगुग्रहो की हम कल्पना ही कर सकते है जो मात्र नींबू के आकार के है। ये माना जाता है शनि के आरंभकाल मे भीषण शक्तिशाली ज्वालामुखी रहे होंगे, जिससे उतसर्जित द्रवराशि से शनि की वलय बने होंगे। दूसरा मत ये शनि का कोई चन्द्र परिक्रमा करते हुए इसके नजदीक आया होगा शनि की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से विखंडित होकर उसके वलय बने होने लेकिन ये सम्भव नही है क्योंकि ये टुकड़े काफी बड़े भी है जो शुद्ग्रह कहलाते है। अधिकत खगोलविद इस बात से सहमत है कि ये वलय आरंभकाल से ही ऐसे बने हैं। भविष्य मे इन वलयो से ओर भी चाँद जन्म ले सकते है। बिटिश भौतिकवेत्ता जेम्स मेक्सवेल कहते है कि वलय ना ठोस हैं ना ही द्रवरूप।। लेकिन है बेहद खूबसूरत।।।
चाँद के साथ घूमने आए देवगुरु ओर खूबसूरत शनि की रोमांचक सफर की कुछ फोटुक स्वखींचित।।।28 अगस्त मून गोल्डन हैंडल,, 29 का मिलन
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