सरयू नदी में भारी मशीनों द्वारा खनन मामले की अगली सुनावई होगी तीन सप्ताह के बाद

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संतोष बोरा , नैनीताल ( nainilive.com )- हाई कोर्ट ने सरयू नदी बागेश्वर में भारी मशीनों द्वारा खनन की अनुमती दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए याचिकर्ता से प्रतिशपथपत्र पेश तीन सप्ताब में पेश करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह के बाद कि तिथि नियत की है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई।

मामले के अनुसार बागेश्वर निवासी प्रमोद कुमार मेहता ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि, बागेश्वर नगर क्षेत्र में बागेश्वर तहसील के अंतर्गत एसडीएम बागेश्वर द्वारा 9 मार्च को एक निविदा प्रकाशित की है। जिसके द्वारा स्थानीय व्यक्तियों/ संस्थाओं को सरयु नदी में रेता उपखनिज के निस्तारण उठान हेतु खुली नीलामी हेतु आमंत्रित किया गया था।जिसे याचिकाकर्ता द्वारा इस आधार पर चुनौती दी है कि खुली नीलामी के आड़ में जिला प्रशासन माफियाओं को लाभ पहुचाने व बड़ी मशीनों के प्रयोग जेसीबी पोकलैंड मशीनों के उपयोग की अनुमति देकर पवित्र नदी के स्वरूप को खत्म करने का प्रयास कर रहा है।आज तक सरयु नदी में बिना मशीनों के ही एनुअल चुगान होता आया है। तथा बजरी रेता कभी भी, बागेश्वर नगर के आसपास से गुजरने वाली सरयु नदी में कभी भी इतनी अधिक मात्रा में इकठ्ठा नही हुआ। जिस से आपदा अथवा भू कटाव की कोई आशंका बने।

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याचिकर्ता का यह भी कथन है कि निविदा हेतु 19 मार्च तक आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी। तथा खुली नीलामी 20 मार्च को की जानी थी।

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प्रशासन द्वारा 20 मार्च को खुली नीलामी कर दी है ।
नीलामी को निरस्त करने हेतु स्थानीय लोगो के द्वारा इस संबंध में जिलाधिकारी बागेश्वर को, 13 मार्च को संयुक्त प्रत्यावेदन भी दिया जा चुका था। लेकिन कोई कार्यवाही नही होने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका द्वारा 9 मार्च को जारी निविदा विज्ञापन व खुली नीलामी को चुनौती दी गयी है।

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याचिकाकर्ता का यह आरोप भी है कि, सरयु नदी में रेता बजरी की मात्र के बिना आकलन के ही नियम विरुद्ध नीलामी की जा रही है। जो कि उत्तराखंड रिवर ट्रेनिंग नीति 2020 के प्रावधानों के विपरीत है।

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